devotionally made & hosted in India
Search
Mic
Android Play StoreIOS App Store
Ads Subscription Disabled
हि
Setting
Clock
Ads Subscription Disabledविज्ञापन हटायें
X

अक्टूबर, 2025 में गण्ड मूल नक्षत्र के दिन और समय Berlin, Berlin, जर्मनी

DeepakDeepak

अक्टूबर, 2025 गण्ड मूल नक्षत्र

गण्ड मूल आरम्भ
अक्टूबर 7, 2025, मंगलवार को 00:31 बजे

गण्ड मूल अन्त
अक्टूबर 8, 2025, बुधवार को 19:14 बजे
गण्ड मूल आरम्भ
अक्टूबर 15, 2025, बुधवार को 08:30 बजे

गण्ड मूल अन्त
अक्टूबर 17, 2025, शुक्रवार को 10:27 बजे
गण्ड मूल आरम्भ
अक्टूबर 25, 2025, शनिवार को 04:21 बजे

गण्ड मूल अन्त
अक्टूबर 27, 2025, सोमवार को 08:57 बजे

टिप्पणी: सभी समय २४-घण्टा प्रारूप में Berlin, जर्मनी के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।

गण्ड मूल नक्षत्र

गण्ड मूल वैदिक ज्योतिष में एक विशेष दोष माना जाता है, जो व्यक्ति के जन्म नक्षत्र पर आधारित होता है। यह दोष मुख्यतः उन लोगों को प्रभावित करता है जिनका जन्म कुछ विशिष्ट गण्डान्त नक्षत्रों में होता है। विशेषतः जिस समय चन्द्रमा जल एवं अग्नि तत्व की राशियों के सन्धिकाल में होता है, उस समय यह दोष प्रभावी होता है। यह क्षेत्र अस्थिर या संवेदनशील माना जाता है। नवजात शिशु की कुण्डली के विश्लेषण के समय सम्भावित विपत्तियों व दोषों का मूल्याङ्कन करने हेतु गण्ड मूल दोष का विचार किया जाता है। यदि शिशु का जन्म गण्ड मूल नक्षत्रों में हुआ हो, तो शान्ति पूजा या मूल नक्षत्र शान्ति कराने का सुझाव दिया जाता है। परम्परागत रूप से यह पूजा जन्म के 27वें दिन या उसी नक्षत्र के पुनरागमन के समय की जाती है।

प्राचीन धर्मग्रन्थों एवं पारम्परिक मान्यताओं के अनुसार, यह दोष शिशु या उसके परिवार के सदस्यों के लिये बाधाओं का संकेत हो सकता है। हालाँकि, ऐसा सदैव नहीं होता एवं यह जन्म कुण्डली के विस्तृत विश्लेषण पर निर्भर करता है। विवाह, गृह प्रवेश तथा व्यापार आरम्भ करने आदि महत्वपूर्ण कार्यों में गण्ड मूल वाले दिन को त्याग दिया जाता है। द्रिक पञ्चाङ्ग पर अशुभ समय से बचने हेतु गण्ड मूल काल का उल्लेख किया जाता है।

गण्ड मूल नक्षत्रों के नाम

गण्ड मूल के अन्तर्गत निम्नलिखित छह नक्षत्र आते हैं -

  1. अश्विनी
  2. अश्लेशा
  3. मघा
  4. ज्येष्ठा
  5. मूल
  6. रेवती

इनमें से कुछ विशेष रूप से गण्डान्त क्षेत्र में आते हैं -

  • अश्लेशा - मघा (कर्क से सिंह सङ्क्रमण)
  • ज्येष्ठा - मूल (वृश्चिक से धनु सङ्क्रमण)
  • रेवती - अश्विनी (मीन से मेष सङ्क्रमण)

इन नक्षत्रों में जन्म लेने वाले शिशुओं को गण्ड मूल दोष युक्त माना जा सकता है, हालाँकि आधुनिक ज्योतिषी नक्षत्र के अंश, चरण (पद) तथा ग्रहों के प्रभाव का विश्लेषण करने के पश्चात् ही निष्कर्ष निकालते हैं। आधुनिक ज्योतिष में सम्पूर्ण कुण्डली, ग्रह दृष्टि एवं दशा का विश्लेषण आवश्यक माना जाता है। विशिष्ट पूजा एवं अनुष्ठान द्वारा इस दोष को शमन या समाप्त किया जा सकता है। मुहूर्त चयन एवं नक्षत्र-आधारित उपायों की दृष्टि से गण्ड मूल का नियमित रूप से अवलोकन किया जाता है।

गण्ड मूल नक्षत्रों के प्रभाव एवं कुटुम्ब पर प्रभाव

प्रत्येक गण्ड मूल नक्षत्र का किसी निकट सम्बन्धी पर विशेष प्रभाव होता है, हालाँकि यह सदैव निश्चित नहीं होता है। इन्हीं मान्यताओं के आधार पर उपाय भी किये जाते हैं। इन प्रभावों में अन्तर आ सकता है, जो नक्षत्र के चरण, ग्रहों की दृष्टि एवं सम्पूर्ण जन्म कुण्डली पर निर्भर करता है। इन नक्षत्रों में जन्म लेने वाले सभी जातकों को समस्यायें नहीं होती हैं।

क्रमांक
नक्षत्र
प्रकार
सम्भावित प्रभाव किस पर
1
अश्विनी
मूल
पिता
2
अश्लेशा
गण्ड
माता
3
मघा
मूल
पिता
4
ज्येष्ठा
गण्ड
छोटे भाई-बहन
5
मूल
मूल
पिता या दादा
6
रेवती
गण्ड
माता

उपाय, शान्ति एवं परिहार

गण्ड मूल दोष के शमन हेतु निम्नलिखित उपाय किये जाते हैं -

  • गण्ड मूल दोष के लिये सामान्यतः ज्योतिषी गण्ड मूल शान्ति पूजा कराने की सलाह देते हैं, जो जन्म के 27वें दिन या उसी नक्षत्र की पुनरावृत्ति पर की जाती है।
  • विशिष्ट नक्षत्र से सम्बन्धित नक्षत्र होम किया जाता है।
  • सम्बन्धित नक्षत्र के देवता के मन्त्रों का पाठ किया जाता है।
  • दान अथवा ब्राह्मण भोज का आयोजन किया जाता है। यह क्रिया शान्ति पूजा के समय की जाती है।

मान्यताओं के अनुसार यह अनुष्ठान शिशु एवं उसके कुटुम्बीजनों के लिये गण्ड-मूल के सम्भावित नकारात्मक प्रभावों को कम कर सकते हैं। यह पारम्परिक मान्यतायें अनेक हिन्दुओं द्वार सम्मानित एवं अनुपालित की जाती हैं, किन्तु आधुनिक ज्योतिषी व्यक्तिगत कुण्डली के विस्तृत अध्ययन पर अधिक बल देते हैं। मूल नक्षत्रों में जन्मे प्रत्येक व्यक्ति के लिये यह हानिकारक नहीं होते हैं। ग्रहों की स्थिति, दशा एवं भावों को नक्षत्र से अधिक प्रभावशाली माना जाता है।

Name
Name
Email
द्रिकपञ्चाङ्ग पर टिप्पणी दर्ज करने के लिये गूगल अकाउंट से लॉग इन करें।
टिप्पणी
और लोड करें ↓
Kalash
कॉपीराइट नोटिस
PanditJi Logo
सभी छवियाँ और डेटा - कॉपीराइट
Ⓒ www.drikpanchang.com
प्राइवेसी पॉलिसी
द्रिक पञ्चाङ्ग और पण्डितजी लोगो drikpanchang.com के पञ्जीकृत ट्रेडमार्क हैं।
Android Play StoreIOS App Store
Drikpanchang Donation