☰
Search
Mic
हि
Android Play StoreIOS App Store
Setting
Clock

-7955 शरद पूर्णिमा का दिन Fairfield, Connecticut, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए

DeepakDeepak

-7955 शरद पूर्णिमा

Fairfield, संयुक्त राज्य अमेरिका
शरद पूर्णिमा
21वाँ
मई -7955
Friday / शुक्रवार
शरद पूर्णिमा पर भगवान कृष्ण महा रास
Sharad Purnima

शरद पूर्णिमा का समय

शरद पूर्णिमा शुक्रवार, मई 21, -7955 को
Krishna Dashami शरद पूर्णिमा के दिन चन्द्रोदय - 18:22
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - मई 21, -7955 को 10:30 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - मई 22, -7955 को 08:53 बजे

टिप्पणी: सभी समय २४:००+ प्रारूप में Fairfield, संयुक्त राज्य अमेरिका के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय २४:०० से अधिक हैं और आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।

-7955 शरद पूर्णिमा

शरद पूर्णिमा, हिन्दु कैलेण्डर में सबसे प्रसिद्ध पूर्णिमाओं में से एक है। ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा वर्ष में एकमात्र ऐसा दिन होता है जब चन्द्रमा सभी सोलह कलाओं के साथ निकलता है। हिन्दु धर्म में, मानव का प्रत्येक गुण किसी न किसी कला से जुड़ा होता है और यह माना जाता है कि सोलह विभिन्न कलाओं का संयोजन एक आदर्श व्यक्तित्व का निर्माण करता है। योगिराज श्री कृष्ण को सोलह कलाओं से परिपूर्ण अवतार माना जाता है और भगवान श्री कृष्ण को भगवान विष्णु का पूर्ण अवतार माना जाता है। जबकि भगवान श्री राम को केवल बारह कलाओं का संयोजन माना जाता है।

अतः, शरद पूर्णिमा के दिन चन्द्र देव की पूजा करना बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। नवविवाहित सौभाग्यवती स्त्रियाँ, जो वर्ष की प्रत्येक पूर्णिमासी को उपवास करने का संकल्प लेती हैं, वे शरद पूर्णिमा के दिन से उपवास प्रारम्भ करती हैं। गुजरात में शरद पूर्णिमा को शरद पूनम के नाम से अधिक मान्यता प्राप्त है।

इस दिन चन्द्रमा न केवल सभी सोलह कलाओं के साथ चमकता है, बल्कि शरद पूर्णिमा के चन्द्रमा की किरणों में उपचार के कुछ गुण भी होते हैं जो शरीर और आत्मा को सकारात्मक उर्जा प्रदान करते हैं। इसके साथ ही यह भी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के चन्द्रमा की किरणें अमृतमयी होती हैं। इसीलिये इस दिव्य संयोग का लाभ उठाने के लिये, पारम्परिक रूप से शरद पूर्णिमा के दिन, गाय के दूध से बनी खीर और नेत्रों की ज्योति में वृद्धि करने वाली एक विशेष मिठाई (ब्रज भाषा में इसे पाग कहते हैं) को बनाया जाता है और पूरी रात चन्द्रमा की किरणों के समक्ष रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि चन्द्रमा की किरणों से इस मिठाई में अमृत जैसे औषधीय गुण आ जाते हैं। प्रातःकाल, इस खीर का सेवन किया जाता है और परिवार के सदस्यों में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है तथा नेत्रों की ज्योति के लिये लाभदायक मिठाई का कई दिनों तक औषधि की भाँति सेवन किया जाता है।

बृज क्षेत्र में शरद पूर्णिमा को ही रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि को भगवान श्री कृष्ण ने दिव्य प्रेम का नृत्य महा-रास (आध्यात्मिक/अलौकिक प्रेम का नृत्य) किया था। शरद पूर्णिमा की रात्रि में, श्री कृष्ण की बाँसुरी का दिव्य संगीत सुनकर, वृन्दावन की गोपियाँ अपने घरों और परिवारों से दूर रात भर श्री कृष्ण के साथ नृत्य करने के लिये जंगल में चली गयीं। यह वह रात्रि थी जब योगीराज श्री कृष्ण ने प्रत्येक गोपी के साथ प्रथक-प्रथक कृष्ण बनकर प्रथक-प्रथक नृत्य किया। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने अलौकिक रूप से इस रात्रि के समय को भगवान ब्रह्मा की एक रात्रि के बराबर कर दिया और ब्रह्मा की एक रात्रि पृथ्वी या मनुष्यों के अरबों वर्षों के बराबर थी।

भारत के कई क्षेत्रों में शरद पूर्णिमा को कोजागरा पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है, इस दिन अर्थात कोजागरा पूर्णिमा को पूरे दिन उपवास/व्रत रखा जाता है। कोजागरा व्रत को कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है।

Kalash
कॉपीराइट नोटिस
PanditJi Logo
सभी छवियाँ और डेटा - कॉपीराइट
Ⓒ www.drikpanchang.com
प्राइवेसी पॉलिसी
द्रिक पञ्चाङ्ग और पण्डितजी लोगो drikpanchang.com के पञ्जीकृत ट्रेडमार्क हैं।
Android Play StoreIOS App Store
Drikpanchang Donation