टिप्पणी: सभी समय १२-घण्टा प्रारूप में लँकेस्टर, संयुक्त राज्य अमेरिका के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।
अमान्त हिन्दु पञ्चाङ्ग के अनुसार, आश्विन माह (पूर्णिमान्त कार्तिक माह) की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को वक्रतुण्ड संकष्टी व्रत किया जाता है। वक्रतुण्ड संकष्टी के अवसर पर भगवान गणेश के वक्रतुण्ड स्वरूप का पूजन एवं व्रत किया जाता है। भगवान गणेश ने विभिन्न कारणों से भिन्न-भिन्न रूप धारण किये हैं। गणेश जी के अष्टविनायक रूपों में प्रथम स्वरूप को भगवान वक्रतुण्ड के रूप में जाना जाता है। वक्रतुण्ड गणेश का अभिप्राय टेढ़ी सूँड वाले गणेश जी से है। हालाँकि मुद्गल पुराण में भगवान वक्रतुण्ड को टेढ़े मुख वाला कहा गया है।
मुद्गल पुराण आदि विभिन्न धर्मग्रन्थों में भगवान गणेश के अष्टविनायक रूपों के विषय में वर्णन प्राप्त होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मत्सरासुर नामक दैत्य का अन्त करने के उद्देश्य से भगवान गणेश ने वक्रतुण्ड रूप धारण किया था। अन्ततः युद्ध में गणेश जी से पराजित होकर मत्सरासुर ने क्षमा-याचना कर अपने प्राणों की रक्षा की थी।
उत्तर भारतीय राज्यों में इस दिन करवा चौथ का त्यौहार मनाया जाता है। करवा चौथ के अवसर पर स्त्रियाँ अपने पति की दीर्घायु की कामना से निर्जला व्रत का पालन करती हैं तथा चन्द्रदेव को अर्घ्य अर्पण करने के उपरान्त ही व्रत का पारण करती हैं। करवा चौथ को करक चतुर्थी भी कहा जाता है।