हम सभी किसी न किसी बॉलीवुड फिल्म या ड्रामा सीरियल का कोई ऐसा दृश्य अवश्य याद कर सकते हैं जिसमें पण्डित जी कहते हैं कि "आने वाले चार महीनों में विवाह के लिये कोई शुभ मुहूर्त उपलब्ध नहीं है"। यह सुनकर हम सभी एक गहरी लम्बी साँस लेते हैं और सोचते हैं - "पण्डित जी, अब फिर नहीं!"
द्रिक पञ्चाङ्ग में हम इसे "शूट द मैसेन्जर" अर्थात सन्देश वाहक पर दोष मढ़े जाने के तौर पर देखते हैं और सदियों से अपने ऊपर दोष लेते रहने के कारण पण्डित जी से सहानुभूति भी रखते हैं। मुहूर्त ज्योतिष पर वर्षों के अथक प्रयास के बाद हम इस बात को अवश्य जानते हैं कि उपयुक्त मुहूर्त की गणना करना एक सुगम कार्य नहीं है और ना ही उपयुक्त मुहूर्त सर्वदा ही उपलब्ध हो सकता है। हमें सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त के लिये प्रतीक्षा करनी पड़ती है बजाय इसके कि पण्डित जी हमें कोई मुहूर्त निर्माण (जुगाड़) कर दे दें। पुराने समय में लोग धैर्यवान होते थे और एक उपयुक्त मुहूर्त निकालने के लिये पण्डित जी को कम से कम एक वर्ष की समय अवधि देते थे।
हम विवाह मुहूर्त पर वर्षों से कार्य कर रहे हैं और इसे हमने काफी हद तक विस्तृत और सुगम बना दिया है जिसकी मदद से कोई भी व्यक्ति जिसे पञ्चाङ्ग का सिर्फ प्राथमिक ज्ञान ही है, वह भी पण्डित जी की सहायता के बिना अपने लिये एक उपयुक्त मुहूर्त ज्ञात कर सकता है।
टिप्पणी: सभी समय २४-घण्टा प्रारूप में कोलंबस, संयुक्त राज्य अमेरिका के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।
सभी समय अन्तरालों को तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है -
सर्वप्रथम हमें एक ऐसे समय अन्तराल को देखना होगा जिसमें पञ्चाङ्ग शुद्धि उपलब्ध हो। पञ्चाङ्ग शुद्धि की प्रक्रिया के अन्तर्गत मुहूर्त गणना में पञ्चाङ्ग के पाँच मूल तत्वों के साथ-साथ अन्य दोषों के शोधन पर भी विचार करना होता है।
द्रिक पञ्चाङ्ग ने प्रत्येक समय अन्तराल को तीन श्रेणियों में विभाजित किया है।
अधिकतर पेपर पञ्चाङ्गों में प्रत्येक विवाह मुहूर्त के साथ लत्तादि रेखायें प्रकाशित की जाती है। कुल 10 लत्तादि रेखायें होती हैं और आदर्श रूप से सभी रेखायें सीधी होनी चाहिये। हालाँकि, सभी 10 सीधी लत्तादि रेखाओं के साथ, अन्य शुभ संयोगों को प्राप्त कर पाना हमेशा सम्भव नहीं होता। अतः हमें एक ऐसा समय अन्तराल देखना चाहिये जिसमें हमें अधिक से अधिक सीधी लत्तादि रेखाएं प्राप्त हो सकें। ऐसा समय अन्तराल जिसमें पाँच या उससे कम सीधी लत्तादि रेखायें हो उसे त्याग देना चाहिये। इसके अतिरिक्त जो लत्तादि रेखायें क्रान्ति साम्य दोष से पीड़ित हो उन्हें, चाहें 10 में से 9 लत्तादि रेखायें भी सीधी हों, को त्याग देना चाहिये । क्योंकि सिर्फ एक क्रान्ति साम्य दोष पूरे लत्तादि समुह को दूषित कर देता है और क्रान्ति साम्य दोष का कोई परिहार नहीं होता है। क्रान्ति साम्य दोष में विवाह करना, ग्रहण काल में विवाह करने के तुल्य, निन्दनीय है।
आपकी सहायता के लिये द्रिक पञ्चाङ्ग में हम पाँच या पाँच से कम लत्तादि रेखाओं को या ऐसी लत्तादि रेखायें जो क्रान्ति साम्य दोष से पीड़ित है उसे लाल रंग से क्रॉस कर देते हैं।
विवाह मुहूर्त में लग्न शुद्धि अत्यन्त महत्वपूर्ण प्रक्रिया है तथा विवाह के लिये उपयुक्त लग्न निर्धारित करना एक मुश्किल कार्य है। हमनें विवाह मुहूर्त के लिये प्रयुक्त सभी लग्न दोष यहाँ सूचीबद्ध किये हैं। यहाँ दी गयी जानकारी के आधार पर अपने विवेक से आप विवाह के लिये उपयुक्त लग्न ज्ञात कर सकते हैं।
प्रत्येक लग्न दोष को टूलटिप के माध्यम से समझाया गया है। प्रथम और सप्तम भाव के बल को सबसे अधिक प्राथमिकता देना चाहिये अर्थात लग्न और सप्तम भाव दोष मुक्त होने चाहिये। यह भी सुनिश्चित करें कि अधिकतम ग्रह रेखाप्रद हों तथा विंशोपक बल 10 के आस-पास हो तथा किसी भी स्थिति में 5 से कम न हो।
अन्त में हमनें कुछ ऐसे योगों को सूचीबद्ध किया है जो लग्न को मजबूती प्रदान करते हैं और साथ ही अनेक लग्न दोषों को निष्फल करते हैं। एसे लग्न मुहूर्त अन्तरालों को पुष्प के इस चिन्ह 🌸 से दिखाया गया है।
अन्य दोष की सूची में उन दोषों को वर्णित किया गया है जिन्हें अधिक महत्वपूर्ण नहीं माना जाता लेकिन सिर्फ विचार के लिये जिनका उल्लेख किया जाता है। उदाहरण के लिये, राहु काल को अन्य दोष में इसीलिये रखा गया है क्योंकि सिर्फ राहु काल के कारण प्रबल लग्न के शुभ मुहूर्त को अमान्य नहीं करना चाहिये। कुलिक, अर्ध यम, सायं उदित नक्षत्र, दश दोष, आदि, कुछ ऐसे दोष हैं जिन्हें अन्य दोष के अन्तर्गत सूचीबद्ध किया गया है।
हमने प्रत्येक दिन के लिये गोधूलि बेला को चिन्हित किया है। गोधूलि मुहूर्त का प्रयोग सतर्कता के साथ तभी करना चाहिये जब कोई अन्य शुभ मुहूर्त उपलब्ध न हो। गोधूलि मुहूर्त सभी प्रकार के दोषों को निष्फल नहीं करता है। गोधूलि मुहूर्त को सूर्यास्त के चिह्न ⛅ द्वारा दिखाया गया है।
नवांश शुद्धि के द्वारा उत्तम लग्न मुहूर्त निर्धारित किया जा सकता है। अन्य शब्दों में समझें तो नवांश शुद्ध लग्न मुहूर्त सभी मुहूर्तों में सर्वोत्तम माना गया है। कोई भी पेपर पञ्चाङ्ग लग्न मुहूर्त निर्धारित करने के लिये नवांश शुद्धि प्रक्रिया को नहीं देता है। यहाँ तक की मुहूर्त चिन्तामणि के विवाह प्रकरण के अध्याय में नवांश शुद्धि को लग्न शुद्धि से श्रेष्ठतर बताया गया है।
नवांश शुद्धि मुहूर्त के अन्तराल को बहुत छोटा कर देती है क्योंकि लग्न 9 नवांश में विभाजित हो जाता है। इस प्रक्रिया से प्रत्येक मुहूर्त की औसत अवधि 10 से 12 मिनिट की हो जाती है। इसमें यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि मुख्य विवाह संस्कार इसी छोटी अवधि के दौरान सम्पन्न किया जाये।
प्रत्येक विवाह मुहूर्त वर और कन्या दोनों के लिये निजीकृत होना चाहिये। वर और कन्या के जन्म विवरण के अनुसार निजीकृत मुहूर्त निर्धारित किया जा सकता है।
विवाह मुहूर्त निर्धारित करने के लिये वर और कन्या दोनों की कुण्डली में चन्द्रबलम अथवा ताराबलम में से कोई भी एक मजबूत होना चाहिये। त्रिबल शुद्धि दोनों के लिये उपलब्ध होनी चाहिये। जन्म लग्न और राशि दोनों से अष्टम लग्न को त्याग देना चाहिये।