वर्ण कूट अनुकूलता यह सुनिश्चित करती है कि, वधु अपने पति की आज्ञाकारी होगी कि नहीं। यदि दम्पत्ति का वर्ण समान है, तो वैवाहिक जीवन में आपसी प्रेम एवं सुख-सुविधा की कमी होगी। मान्यताओं के अनुसार, लड़की का उच्च वर्ण अनुशंसित अर्थात उपयुक्त नहीं है।
वर्ण कूट, पारम्परिक जाति व्यवस्था के समतुल्य है। ज्योतिष में श्रेष्ठता के क्रम में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र चार वर्ण हैं। इस क्रम में ब्राह्मण सर्वोच्च वर्ण है तथा शूद्र सर्वाधिक निम्न वर्ण है।
यदि युवक का वर्ण युवती के वर्ण से श्रेष्ठ अथवा समान है, तो एक अङ्क दिया जाता है। यदि लड़के का वर्ण निम्न है, तो कोई अङ्क नहीं दिया जाता।
जिन लोगों की जन्म राशि
यदि युवक का वर्ण निम्न है, किन्तु उसके जन्म राशि स्वामियों का वर्ण उच्च है, तो यह मिलान के लिये योग्य होता है। जन्म राशि स्वामियों का मिलान अन्तिम उपाय के रूप में किया जाना चाहिये। इस मत के अनुसार,