मूल मन्त्र सहित षोडशी यन्त्र को षोडशी साधना सम्पन्न करने हेतु अत्यन्त प्रभावशाली माध्यम माना जाता है।
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः॥
1.ॐ त्रिपुरायै नमः। 2.ॐ षोडश्यै नमः। 3.ॐ मात्रे नमः। ... 107.ॐ मदिरायै नमः। 108.ॐ मदिरेक्षणायै नमः। नाम एवं मन्त्रों का संग्रह अर्थ एवं वीडियो सहित दिया गया है, जिसे देवी षोडशी की अष्टोत्तर शतनामावली के रूप में जाना जाता है।
पञ्चाक्षर षोडशी मन्त्र, षडाक्षर षोडशी मन्त्र, विंशत्याक्षर षोडशी मन्त्र तथा त्रिपुर गायत्री मन्त्र सहित देवी षोडशी के विभिन्न मन्त्रों का संग्रह प्रदान किया गया है। देवी षोडशी दस महाविद्याओं में तीसरी हैं। इन मन्त्रों का प्रयोग देवी षोडशी की साधना के लिये किया जाता है।
देवी षोडशी दस महाविद्याओं में तीसरी महाविद्या हैं तथा उन्हें देवी पार्वती का ही एक रूप माना जाता है। देवी षोडशी के भक्त उन्हें महात्रिपुर सुन्दरी, ललिता, बालापञ्चदशी एवं राजराजेश्वरी आदि नामों से भी सम्बोधित करते हैं।
देवी शक्ति के १० मुख्य स्वरूपों को दश महाविद्या के रूप में पूजा जाता है। दश महाविद्या विभिन्न दिशाओं की अधिष्ठातृ शक्तियाँ हैं। दश महाविद्या की पूजा एवं साधना के माध्यम से साधकों को विभिन्न प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।
शरद नवरात्रि के पाँचवें दिन ललिता पञ्चमी के दिन देवी ललिता के निमित्त व्रत का पालन किया जाता है। ललिता पञ्चमी का व्रत गुजरात एवं महाराष्ट्र के कुछ भागों में अधिक लोकप्रिय है। इस व्रत को उपांग ललिता व्रत के नाम से जाना जाता है।
जयति जयति जय ललिते माता। तव गुण महिमा है विख्याता॥ तू सुन्दरी, त्रिपुरेश्वरी देवी। सुर नर मुनि तेरे पद सेवी॥ देवी ललिता चालीसा हिन्दी बोल एवं वीडियो सहित प्रदान की गयी है। 40 चौपाइयों से युक्त स्तुति को चालीसा कहा जाता है।
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी। राजेश्वरी जय नमो नमः॥ करुणामयी सकल अघ हारिणी। अमृत वर्षिणी नमो नमः॥ उक्त आरती देवी ललिता को समर्पित अत्यन्त प्रचलित आरती है, जिसका गायन देवी ललिता से सम्बन्धित विभिन्न अवसरों पर किया जाता है।