ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये
धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
भगवान कुबेर हिन्दु धर्म में पूजे जाने वाले प्रमुख देवताओं में से एक हैं। हिन्दु धर्म ग्रन्थों मे श्री कुबेर को यक्षों के स्वामी के रूप में वर्णित किया गया है, जो धन-सम्पदा की रक्षा करते हैं। धनतेरस एवं शरद पूर्णिमा के अवसर पर कुबेर देव की पूजा की जाती है।
दीवाली एक पञ्चदिवसीय उत्सव है, जो धनतेरस से आरम्भ होकर भैया दूज पर समाप्त होता है। दीवाली पूजा कैलेण्डर इस पृष्ठ पर दिया गया है, जिसके माध्यम से आप दीवाली उत्सव के दौरान आने वाले प्रत्येक दिन के अनुष्ठानों एवं उनके मुहूर्त के विषय में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
धनतेरस, पञ्च दिवसीय दीवाली उत्सव का प्रथम दिवस है, जिसे धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन देवी लक्ष्मी एवं भगवान कुबेर की पूजा की जाती है। धनतेरस पर लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त इस पृष्ठ पर दिया गया है।
दीवाली पर सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त इस पृष्ठ पर दिया गया है। शुभ मुहूर्त में स्वर्ण खरीदने से उसमें निरन्तर वृद्धि होती है तथा सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
धनतेरस से सम्बन्धित विभिन्न कथायें प्रचलित हैं, जिसमें से सर्वाधिक लोकप्रिय कथा देवी लक्ष्मी एवं एक किसान की कथा है। धनतेरस पूजा के समय इस कथा का पाठ करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
दीवाली के दौरान कुबेर पूजा की विधि इस पृष्ठ पर दी गयी है। कुबेर देव संसार की समस्त धन-सम्पत्ति के रक्षक हैं तथा सुख-समृद्धि की कामना से धनतेरस के दिन देवी लक्ष्मी के साथ कुबेर देव की भी पूजा अर्चना की जाती है।
1. ॐ कुबेराय नमः। 2. ॐ धनदाय नमः। 3. ॐ श्रीमाते नमः। ... 107. ॐ शिवपूजारताय नमः। 108. ॐ अनघाय नमः। आदि कुबेर के 108 नाम इस पृष्ठ पर दिये गये हैं।
हिन्दु धर्म ग्रन्थों के अनुसार, कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को भगवान धन्वन्तरि समुद्र मन्थन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुये थे। इसीलिये इस दिन को धन्वन्तरि त्रयोदशी के रूप में मनाया जाता है।