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-3102 केदार गौरी व्रत का दिन और समय कोलंबस, Ohio, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए

DeepakDeepak

-3102 केदार गौरी व्रत

कोलंबस, संयुक्त राज्य अमेरिका
केदार गौरी व्रत
26वाँ
अगस्त -3102
Sunday / रविवार
दीवाली के दौरान केदार गौरी पूजा
Woman performing Kedar Gauri Puja

केदार गौरी व्रत मुहूर्त

केदार गौरी व्रत रविवार, अगस्त 26, -3102 को
केदार गौरी व्रत सोमवार, अगस्त 6, -3102 से प्रारम्भ
केदार गौरी व्रत के कुल दिन - 21
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - अगस्त 26, -3102 को 16:40 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त - अगस्त 27, -3102 को 14:13 बजे

टिप्पणी: सभी समय २४:००+ प्रारूप में कोलंबस, संयुक्त राज्य अमेरिका के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय २४:०० से अधिक हैं और आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।

-3102 केदार गौरी व्रत

केदार गौरी व्रत मुख्य रूप से दक्षिण भारतीय राज्यों में मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से तमिलनाडु में लोकप्रिय है। इसे केदार व्रतम् के नाम से भी जाना जाता है। केदार गौरी व्रत, दीपावली अमावस्या के दिन किया जाता है तथा दीवाली के अवसर पर की जाने वाली लक्ष्मी पूजा के दिन से संयुक्त होता है।

कुछ परिवारों में केदार गौरी व्रत इक्कीस दिनों तक मनाया जाता है। इक्कीस दिन का यह उपवास दीपावली अमावस्या के दिन समाप्त होता है। हालाँकि, अधिकांश लोग केदार गौरी व्रत के अवसर पर एक ही दिन उपवास रखते हैं। भगवान शिव के भक्तों के लिये यह एक महत्वपूर्ण उपवास है।

केदार गौरी व्रत कथा

भृङ्गी ऋषि, भगवान शिव के अनन्य एवं महान भक्त थे। ऋषि मात्र भगवान शिव पर विश्वास करते थे। भृङ्गी ऋषि भगवान शिव की उपासना में इतने लीन हो गये कि, देवी शक्ति की उपेक्षा करने लगे थे। ऋषि के इस व्यवहार से देवी आदिशक्ति क्रोधित हो गयीं तथा उन्होंने भृङ्गी ऋषि के शरीर से समस्त ऊर्जा हर ली। ऋषि के शरीर से जो ऊर्जा बाहर निकल गयी, वो ऊर्जा स्वयं देवी गौरी ही थीं।

भृङ्गी ऋषि के शरीर से निकली ऊर्जा भगवान शिव में विलीन होना चाहती थी। उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिये केदार व्रत का पालन किया। शक्ति की तपस्या से प्रसन्न होकर, भगवान शिव ने उन्हें निवास के लिये अपने शरीर का बायाँ भाग दे दिया। तभी से, भगवान शिव एवं देवी शक्ति के इस स्वरुप को अर्धनारीश्वर के रूप में जाना जाने लगा।

देवी गौरी द्वारा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिये किये जाने के कारण, इस व्रत को केदार गौरी व्रत के रूप में जाना जाता है।

Kalash
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