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2025 गणेश चतुर्थी पूजा का दिन और समय Port Elizabeth, Grenadines, Saint Vincent and the Grenadines के लिए

DeepakDeepak

2025 गणेश चतुर्थी

Port Elizabeth, Saint Vincent and the Grenadines
गणेश चतुर्थी
26वाँ
अगस्त 2025
Tuesday / मंगलवार
गणेश चतुर्थी
Ganesh Chaturthi Puja

गणेश चतुर्थी पूजा मुहूर्त

गणेश चतुर्थी मंगलवार, अगस्त 26, 2025 को
मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त - 10:52 ए एम से 01:21 पी एम
अवधि - 02 घण्टे 29 मिनट्स
गणेश विसर्जन शनिवार, सितम्बर 6, 2025 को
वर्जित चन्द्रदर्शन का समय - 08:30 ए एम से 08:35 पी एम
अवधि - 12 घण्टे 05 मिनट्स
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ - अगस्त 26, 2025 को 04:24 ए एम बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त - अगस्त 27, 2025 को 06:14 ए एम बजे

अन्य शहरों में गणेश चतुर्थी मुहूर्त
11:21 ए एम से 01:51 पी एम, अगस्त 27 - पुणे
11:05 ए एम से 01:40 पी एम, अगस्त 27 - नई दिल्ली
10:56 ए एम से 01:25 पी एम, अगस्त 27 - चेन्नई
11:11 ए एम से 01:45 पी एम, अगस्त 27 - जयपुर
11:02 ए एम से 01:33 पी एम, अगस्त 27 - हैदराबाद
11:06 ए एम से 01:40 पी एम, अगस्त 27 - गुरुग्राम
11:07 ए एम से 01:42 पी एम, अगस्त 27 - चण्डीगढ़
10:22 ए एम से 12:54 पी एम, अगस्त 27 - कोलकाता
11:24 ए एम से 01:55 पी एम, अगस्त 27 - मुम्बई
11:07 ए एम से 01:36 पी एम, अगस्त 27 - बेंगलूरु
11:25 ए एम से 01:57 पी एम, अगस्त 27 - अहमदाबाद
11:05 ए एम से 01:39 पी एम, अगस्त 27 - नोएडा

* अन्य शहरों के लिये दिये गये मुहूर्त का समय सम्बन्धित शहरों का स्थानीय समय है।

अन्य वर्षों में गणेश चतुर्थी का दिन

2022 - मंगलवार, अगस्त 30
2023 - सोमवार, सितम्बर 18
2024 - शुक्रवार, सितम्बर 6
2026 - सोमवार, सितम्बर 14
2027 - शुक्रवार, सितम्बर 3
2028 - बुधवार, अगस्त 23
2029 - मंगलवार, सितम्बर 11
2030 - रविवार, सितम्बर 1
2031 - शनिवार, सितम्बर 20
2032 - बुधवार, सितम्बर 8

* गणेश चतुर्थी के दिनों की गणना Port Elizabeth, Saint Vincent and the Grenadines के लिये की गयी है।

टिप्पणी: सभी समय १२-घण्टा प्रारूप में Port Elizabeth, Saint Vincent and the Grenadines के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।

2025 गणेश चतुर्थी

भगवान गणेश के जन्म दिन के उत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में जाना जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन, भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। यह मान्यता है कि भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष के दौरान भगवान गणेश का जन्म हुआ था। अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार गणेश चतुर्थी का दिन अगस्त अथवा सितम्बर के महीने में आता है।

गणेशोत्सव अर्थात गणेश चतुर्थी का उत्सव, 10 दिन के बाद, अनन्त चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है और यह दिन गणेश विसर्जन के नाम से जाना जाता है। अनन्त चतुर्दशी के दिन श्रद्धालु-जन बड़े ही धूम-धाम के साथ सड़क पर जुलूस निकालते हुए भगवान गणेश की प्रतिमा का सरोवर, झील, नदी इत्यादि में विसर्जन करते हैं।

गणपति स्थापना और गणपति पूजा मुहूर्त

ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल के दौरान हुआ था इसीलिए मध्याह्न के समय को गणेश पूजा के लिये ज्यादा उपयुक्त माना जाता है। हिन्दु दिन के विभाजन के अनुसार मध्याह्न काल, अंग्रेजी समय के अनुसार दोपहर के तुल्य होता है।

मध्याह्न मुहूर्त में, भक्त-लोग पूरे विधि-विधान से गणेश पूजा करते हैं जिसे षोडशोपचार गणपति पूजा के नाम से जाना जाता है।

गणेश चतुर्थी पर निषिद्ध चन्द्र-दर्शन

गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्र-दर्शन वर्ज्य होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चन्द्र के दर्शन करने से मिथ्या दोष अथवा मिथ्या कलंक लगता है जिसकी वजह से दर्शनार्थी को चोरी का झूठा आरोप सहना पड़ता है।

पौराणिक गाथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण पर स्यमन्तक नाम की कीमती मणि चोरी करने का झूठा आरोप लगा था। झूठे आरोप में लिप्त भगवान कृष्ण की स्थिति देख के, नारद ऋषि ने उन्हें बताया कि भगवान कृष्ण ने भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चन्द्रमा को देखा था जिसकी वजह से उन्हें मिथ्या दोष का श्राप लगा है।

नारद ऋषि ने भगवान कृष्ण को आगे बतलाते हुए कहा कि भगवान गणेश ने चन्द्र देव को श्राप दिया था कि जो व्यक्ति भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दौरान चन्द्र के दर्शन करेगा वह मिथ्या दोष से अभिशापित हो जायेगा और समाज में चोरी के झूठे आरोप से कलंकित हो जायेगा। नारद ऋषि के परामर्श पर भगवान कृष्ण ने मिथ्या दोष से मुक्ति के लिये गणेश चतुर्थी के व्रत को किया और मिथ्या दोष से मुक्त हो गये।

मिथ्या दोष निवारण मन्त्र

चतुर्थी तिथि के प्रारम्भ और अन्त समय के आधार पर चन्द्र-दर्शन लगातार दो दिनों के लिये वर्जित हो सकता है। धर्मसिन्धु के नियमों के अनुसार सम्पूर्ण चतुर्थी तिथि के दौरान चन्द्र दर्शन निषेध होता है और इसी नियम के अनुसार, चतुर्थी तिथि के चन्द्रास्त के पूर्व समाप्त होने के बाद भी, चतुर्थी तिथि में उदय हुए चन्द्रमा के दर्शन चन्द्रास्त तक वर्ज्य होते हैं।

अगर भूल से गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्रमा के दर्शन हो जायें तो मिथ्या दोष से बचाव के लिये निम्नलिखित मन्त्र का जाप करना चाहिये -

सिंहः प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मारोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः॥

Simhah Prasenamavadhitsimho Jambavata Hatah।
Sukumaraka Marodistava Hyesha Syamantakah॥

गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी और गणेश चौथ के नाम से भी जाना जाता है।

Kalash
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द्रिक पञ्चाङ्ग और पण्डितजी लोगो drikpanchang.com के पञ्जीकृत ट्रेडमार्क हैं।
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