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हरतालिका कथा | हरतालिका तीज की पौराणिक कथा

DeepakDeepak

हरतालिका कथा

हरतालिका तीज की कथा स्वयं भगवान शिव ने देवी पार्वती को उनके शैलपुत्री अवतार का स्मरण कराते हुये सुनायी थी। देवी पार्वती स्वयं महाराज हिमालयराज के घर देवी शैलपुत्री के रूप में अवतरित हुयीं थीं।

देवी शैलपुत्री ने बाल्यकाल से ही भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु तपस्या आरम्भ कर दी थी। उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिये बारह वर्षों तक प्रार्थना की, तत्पश्चात् 64 वर्षों तक कठिन तपस्या में लीन रहीं।

महाराज हिमालयराज को अपनी पुत्री के भविष्य की चिन्ता होने लगी। एक समय नारद मुनि शैलपुत्री के दर्शन करने आये तथा उन्होंने हिमालयराज से झूठ बोलते हुये कहा कि वे भगवान विष्णु की ओर से उनकी पुत्री के लिये विवाह का प्रस्ताव लेकर आये हैं। हिमालयराज ने भगवान नारद को यह वचन दिया कि वे उनकी पुत्री का विवाह भगवान विष्णु से ही करेंगे। भगवान विष्णु ने भी नारद मुनि के अनुरोध पर देवी शैलपुत्री से विवाह करने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।

ज्यों ही शैलपुत्री को अपने पिता द्वारा भगवान विष्णु से उनका विवाह करने के वचन के विषय में ज्ञात हुआ, तो वे अपनी सखी के साथ घर त्यागकर चली गयीं। वे घने वन में चली गयीं तथा भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु नदी के तट पर एक गुफा में निवास कर तपस्या करने लगीं। अन्ततः भगवान शिव उनकी तपस्या से प्रसन्न हो गये तथा उन्होंने देवी शैलपुत्री को उनसे विवाह करने का वचन दिया। अगले दिन भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को शैलपुत्री एवं उनकी सखी ने भगवान शिव के लिये व्रत का पालन किया।

महाराज हिमालयराज अपनी पुत्री के लिये अत्यन्त चिन्तित थे क्योंकि उन्हें लगा कि किसी ने उनकी पुत्री का अपहरण कर लिया है। हिमालयराज अपनी सेना सहित प्रत्येक स्थान पर शैलपुत्री की खोज करने लगे। अन्त में उन्हें अपनी पुत्री एवं उसकी सखी घने वन में मिलीं। उन्होंने अपनी पुत्री से घर लौटने का अनुरोध किया। शैलपुत्री ने कहा कि उनके पिता द्वारा उनका विवाह भगवान शिव से कराने का वचन देने पर ही वे घर लौटेंगी। हिमालयराज ने उनकी इच्छा स्वीकार कर ली तथा कालान्तर में उनका विवाह भगवान शिव से कर दिया।

इस पौराणिक कथा के कारण, इस दिन को हरतालिका के रूप में जाना जाता है क्योंकि देवी पार्वती की सखी उन्हें घने वन में ले गयी थी, जिसे हिमालयराज ने अपनी पुत्री का अपहरण समझ लिया था। हरतालिका शब्द "हरत" एवं "आलिका" का संयोजन है जिसका अर्थ क्रमशः "अपहरण" एवं "महिला मित्र" है।

Kalash
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