हिन्दु धर्म में देवी लक्ष्मी को धन प्रदान करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। देवी लक्ष्मी अपने भक्तों के कल्याण हेतु नाना प्रकार के रूप धारण करती रहती हैं। देवी लक्ष्मी के प्रमुख 8 रूपों को अष्टलक्ष्मी के नाम से जाना जाता है। देवी लक्ष्मी के अष्टलक्ष्मी स्वरूपों में से एक स्वरूप धन लक्ष्मी भी है। देवी धन लक्ष्मी की आराधना करने से समस्त प्रकार की भौतिक सुख-सम्पदा प्राप्त होती है। देवी धन लक्ष्मी दुख-दारिद्र्य का नाश करती हैं तथा नाना प्रकार की सम्पत्ति प्रदान करती हैं।
देवी धन लक्ष्मी की आराधना करने से जीवन में कभी धन-सम्पदा का अभाव नहीं होता है तथा व्यक्ति वैभवशाली जीवन प्राप्त कर उत्तम गति को प्राप्त होता है। लम्बे समय से चले आ रहे ऋण से मुक्ति प्राप्त करने हेतु भी देवी धन लक्ष्मी की आराधना करने का सुझाव दिया जाता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय देवी लक्ष्मी एवं भगवान विष्णु के मध्य धन के महत्व को लेकर विवाद हो गया। देवी लक्ष्मी वैकुण्ठ का त्याग कर मानव रूप धारण करके पृथ्वीलोक पर निवास करने लगीं। देवी लक्ष्मी की अनुपस्थिति में भगवान विष्णु व्यथित हो उठे और देवी लक्ष्मी की खोज करते हुये पृथ्वीलोक को आ गये। पृथ्वी पर भगवान विष्णु एक निर्धन वनवासी के रूप में निवास करने लगे।
संयोगवश पृथ्वी पर उनकी देवी लक्ष्मी से भेंट तो हुयी, किन्तु विष्णु जी के पास धनलक्ष्मी से विवाह करने हेतु पर्याप्त धन नहीं था। जिसके कारण विष्णु जी, धन के देवता कुबेर से, ऋण लेने हेतु विवश हो गये। अनेक वर्ष व्यतीत होने पर भी भगवान विष्णु कुबेर जी का ऋण चुकाने में असमर्थ रहे। अन्ततः उन्हें धन के महत्व का अनुभव हुआ। उनकी पत्नी धनलक्ष्मी ने उन्हें धन प्राप्ति का आशीर्वाद दिया तथा भगवान देवी लक्ष्मी के ऋणी हो गये।
देवी धन लक्ष्मी को षट्भुज रूप के साथ चित्रित किया जाता है। देवी लाल वस्त्र धारण करती हैं, उनके हाथ में सुदर्शन चक्र, शंख, कलश (नारियल से ढका और आम के पत्तों से सुसज्जित एक पानी का घड़ा) या अमृत कलश (जीवन अमृत से युक्त एक घड़ा), एक धनुष-बाण तथा एक कमल सुशोभित है। देवी माँ का एक हाथ अभय मुद्रा में है, जिसमें से निरन्तर स्वर्ण मुद्रायें प्रवाहित होती रहती हैं।
ॐ धनलक्ष्म्यै नमः।
धिमिधिमि धिंधिमि धिंधिमि-धिंधिमि, दुन्दुभि नाद सुपूर्णमये
घुमघुम घुङ्घुम घुङ्घुम घुङ्घुम, शङ्खनिनाद सुवाद्यनुते।
वेदपूराणेतिहास सुपूजित, वैदिकमार्ग प्रदर्शयुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि, धनलक्ष्मी रूपेणा पालय माम्॥
देवी लक्ष्मी के धनलक्ष्मी रूप के 108 नामों को देवी धन लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनामावली के रूप में जाना जाता है - देवी धन लक्ष्मी के 108 नाम।