



चन्द्र, मङ्गल, बुध, गुरु आदि ग्रहों के अस्त होने के दिन एवं समय को सूचिबद्ध किया गया है। वैदिक ज्योतिष में ग्रह के अस्त काल को अत्यन्त महत्वपूर्ण माना जाता है। सूर्य के अत्यन्त निकट आ जाने के कारण ग्रह के दृष्टिगोचर न होने की स्थिति को ग्रह अस्त कहा जाता है।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार विभिन्न ग्रहों के गोचर से सम्बन्धित दिन व समय सूचिबद्ध किये गये हैं। उक्त सूचि को ग्रह राशि गोचर, ग्रह नक्षत्र गोचर तथा ग्रह नक्षत्र पद गोचर के रूप में वर्गीकृत किया गया है जिसके माध्यम से आप सरलतापूर्वक विभिन्न ग्रहों के गोचर का अवलोकन कर सकते हैं।

मङ्गल, बुध, गुरु, शुक्र आदि ग्रहों के वक्री होने के दिन एवं समय सूचिबद्ध किये गये हैं। प्रत्येक वक्री क्षेत्र में चार बिन्दु होते हैं, जो कि छाया बिन्दु, वक्री बिन्दु, मार्गी बिन्दु और प्रक्षेपण बिन्दु के नाम से जाने जाते हैं। सूर्य एवं चन्द्र के अतिरिक्त अन्य सभी ग्रह वक्री होते हैं।



