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कृष्ण जन्माष्टमी की तिथि, पूजा मुहुर्त, पारण एवं निशिता पूजा का समय दिया गया है। कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव भगवान कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। भगवान कृष्ण भगवान विष्णु के दशावतारों में से नवम अवतार थे।
भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर कृष्ण मन्दिरों में विशेष अनुष्ठानों एवं विशाल महोत्सव का आयोजन किया जाता है। इस दिन एक दिवसीय उपवास भी किया जाता है।
मनोहारी बाल कृष्ण, जन्माष्टमी पर कृष्ण अभिषेक, मुरली वादन करते कृष्ण तथा कृष्ण एवं दही हाँडी आदि विभिन्न सुन्दर चित्रों से युक्त निःशुल्क कृष्ण जन्माष्टमी ग्रीटिंग कार्ड्स, प्रियजनों को भेजने के लिये प्रदान किये गये हैं।
प्रस्तुत लेख में भगवान श्री कृष्ण की जन्मतिथि एवं उनके वैकुण्ठ गमन के समय का पञ्चाङ्ग सहित विस्तृत विश्लेषण किया गया है। भगवान कृष्ण के जन्म के समय से सम्बन्धित सभी भ्रान्तियों के निवारण हेतु उपयुक्त प्रमाण दिया गया है।
भगवान कृष्ण हिन्दु धर्म में पूजे जाने वाले सर्वाधिक लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं। कृष्ण जी को भगवान विष्णु का नवम अवतार माना जाता है। कंस के अत्याचारों से ब्रजवासियों की रक्षा करने हेतु भगवान विष्णु, श्री कृष्ण के रूप में अवतरित हुये थे।
श्री कृष्ण जयन्ती को दक्षिण भारतीय क्षेत्रों में अष्टमी रोहिणी के नाम से मनाया जाता है। यह दिन भगवान कृष्ण के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। अष्टमी रोहिणी को श्री जयन्ती एवं गोकुलाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है, जो सौर कैलेण्डर के आधार पर मनायी जाती है।
आरती कुञ्जबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की। गले में बैजन्ती माला, बजावै मुरली मधुर बाला। श्रवण में कुण्डल झलकाला, नन्द के आनन्द नन्दलाला। यह भगवान कृष्ण को समर्पित अत्यन्त लोकप्रिय आरती है, जो वीडियो एवं हिन्दी बोल सहित प्रदान की गयी है।
जय यदुनन्दन जय जगवन्दन। शजय वसुदेव देवकी नन्दन॥ जय यशुदा सुत नन्द दुलारे। जय प्रभु भक्तन के दृग तारे॥ यह भगवान कृष्ण की 40 चौपाइयों से युक्त स्तुति है, जो वीडियो एवं हिन्दी बोल सहित प्रदान की गयी है। इस स्तुति को श्रीकृष्ण चालीसा के रूप में जाना जाता है।
1.ॐ कृष्णाय नमः। 2.ॐ कमलानाथाय नमः। 3.ॐ वासुदेवाय नमः। ... 107.ॐ सर्वग्रह रुपिणे नमः। 108.ॐ परात्पराय नमः। श्रीकृष्ण अष्टोत्तर शतनामावली के रूप में प्रसिद्ध भगवान श्रीकृष्ण के नाम व मन्त्र अर्थ एवं वीडियो सहित इस पृष्ठ पर दिये गये हैं।
दही हाण्डी महाराष्ट्र एवं गोवा के नगरों में आयोजित होने वाला एक लोकप्रिय पर्व है। दही हाण्डी का उत्सव कृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन मनाया जाता है। दही हाण्डी उत्सव, भगवान कृष्ण की माखन-चोरी लीला को अभिव्यक्त करता है।
नन्द के घर आनन्द भयो, जो नन्द के घर गोपाल गयो, जय हो मुरलीधर गोपाल की, जय हो कन्हैया लाल की। कृष्ण जन्माष्टमी से सम्बन्धित ऐसे अनेक भक्ति प्रकट करने वाले सन्देश प्रदान किये गये हैं, जिन्हें आप अपने प्रियजनों से साझा कर सकते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर की जाने वाली विस्तृत षोडशोपचार कृष्ण पूजा विधि प्रदान की गयी है। उक्त पूजा विधि में षोडशोपचार पूजा के सभी आवश्यक अनुष्ठान चरणबद्ध रूप से एवं मन्त्र सहित वर्णित किये गये हैं।
वसुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनम्। देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥1॥ अतसी पुष्प सङ्काशम् हार नूपुर शोभितम्। रत्न कङ्कण केयूरं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥2॥ श्री कृष्ण अष्टकम् के रूप में लोकप्रिय स्तोत्र, वीडियो एवं हिन्दी बोल सहित प्रदान किया गया है। भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने हेतु इसका पाठ किया जाता है।
जन्माष्टमी अथवा गोकुलाष्टमी के अवसर सुन्दर रंगोली बनाने की विधि चरणबद्ध रूप से चित्रों के माध्यम से वर्णित की गयी हैं। इन चित्रों की सहायता से मनमोहक रंगोली बना सकते हैं अथवा अपने प्रियजनों को यह चित्र भेज सकते हैं।