
पुष्य नक्षत्र - पुष्य, वैदिक ज्योतिष में आठवाँ नक्षत्र है, जिसका विस्तार 3°20' से 16°40' कर्क तक है।
प्रतीक चिह्न - इस नक्षत्र के प्रतीक गाय का थन, कमल, बाण तथा वृत्त हैं।
खगोलीय नाम - यह नक्षत्र, कर्क तारामण्डल के γ, δ तथा θ कैनक्री (Cancri) को निरूपित करता है।
नक्षत्र के देवता - देवताओं के पुरोहित बृहस्पति ही पुष्य नक्षत्र के अधिष्ठात्र देवता हैं।
शासक ग्रह - पुष्य नक्षत्र पर शनि (शनि ग्रह) का शासन होता है।
अन्य - पुष्य का वैदिक नाम तिष्य है, जिसका अर्थ शुभ होता है। पुष्य नक्षत्र को एक शुभ एवं अत्यन्त श्रेष्ठ नक्षत्र माना जाता है। पुष्य शब्द, पुष्टि से लिया गया है, जिसका तात्पर्य पोषण से है।
नक्षत्र अस्त उदय - पुष्य प्रति वर्ष लगभग 27 दिनों की अवधि के लिये अस्त हो जाता है। पुष्य नक्षत्र के अस्त एवं उदय होने का समय ज्ञात करने हेतु सम्बन्धित पृष्ठ देखें - पुष्य अस्त उदय।
नक्षत्र गोचर - पुष्य को अधिकांश शुभ कार्यों हेतु उत्तम माना जाता है। वर्ष पर्यन्त, चन्द्रमा किस समय पुष्य नक्षत्र में गोचर कर रहा है, यह ज्ञात करने हेतु उक्त पृष्ठ का अवलोकन करें - पुष्य नक्षत्र के सभी दिनों की सूचि।