सूर्य नमस्कार भगवान सूर्य को समर्पित योगासन है। सूर्य नमस्कार को न केवल शारीरिक अपितु आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यन्त महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करने से व्यक्ति निरोगी एवं तेजस्वी होता है। धर्मग्रन्थों में सूर्य नमस्कार को स्त्री, पुरुष, बालक, युवा तथा वृद्ध सभी के लिये लाभकारी बताया गया है।
सूर्य नमस्कार में बारह आसन होते हैं तथा प्रत्येक आसन के लिये एक निश्चित मन्त्र निर्धारित होता है जिसका उच्चारण आसन करते समय किया जाता है। सूर्य नमस्कार आरम्भ करने से पूर्व एवं समाप्त करने के पश्चात् भिन्न-भिन्न श्लोकों का उच्चारण भी किया जाता है, जो निम्नलिखित हैं -
ॐ ध्येयः सदा सवितृ-मण्डल-मध्यवर्ती, नारायणः सरसिजासन-सन्निविष्टः।
केयूरवान् मकरकुण्डलवान् किरीटी, हारी हिरण्मयवपुर्धृतशंखचक्रः॥
आदित्यस्य नमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने।
आयुः प्रज्ञा बलं वीर्यं तेजस्तेषां च जायते॥