टिप्पणी: सभी समय १२-घण्टा प्रारूप में Fairfield, संयुक्त राज्य अमेरिका के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।
प्रदोष व्रत चन्द्र मास की दोनों त्रयोदशी के दिन किया जाता है जिसमे से एक शुक्ल पक्ष के समय और दूसरा कृष्ण पक्ष के समय होता है। जिस दिन त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल के समय व्याप्त होती है उसी दिन प्रदोष का व्रत किया जाता है। प्रदोष काल सूर्यास्त से प्रारम्भ हो जाता है। जब त्रयोदशी तिथि और प्रदोष साथ-साथ होते हैं (जिसे त्रयोदशी और प्रदोष का अधिव्यापन भी कहते हैं) वह समय शिव पूजा के लिये सर्वश्रेष्ठ होता है।
जब प्रदोष का दिन रविवार को पड़ता है, तो इसे रवि प्रदोष के नाम से जाना जाता है। रवि प्रदोष व्रत को पितृ दोष निवारण हेतु अत्यन्त महत्वपूर्ण माना जाता है। भगवान शिव के भक्त इस दिन भक्ति पूर्वक प्रदोष व्रत का पालन करते हैं। रविवार का दिन सूर्यदेव द्वारा शासित है। अतः कुण्डली में सूर्यदेव से सम्बन्धित समस्याओं से मुक्ति हेतु सूर्य प्रदोष व्रत का सुझाव दिया जाता है।
यह व्रत दीर्घायु, स्वास्थ्य तथा समाज में प्रतिष्ठा की प्राप्ति हेतु उत्तम माना गया है। जो व्यक्ति पूर्ण भक्तिभाव से रवि प्रदोष का व्रत करता है उसे पारिवारिक सुख, आत्मबल तथा समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है। यह व्रत विशेषतः आत्मविश्वास की कमी से जूझ रहे लोगों के लिये अत्यन्त फलदायी माना जाता है।