सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में संचरण को संक्रान्ति कहते हैं। संक्रान्ति को संक्रान्थि या संक्रामण भी कहा जाता है। संक्रान्ति से सम्बन्धित सबसे प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय त्यौहारों की सूची निम्नलिखित है।
हिन्दु पञ्चाङ्ग के अनुसार एक वर्ष में बारह संक्रातियाँ होती हैं, जिन्हें इस लेख में सूचिबद्ध किया गया है। सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश को संक्राति के रूप में जाना जाता है। संक्राति के दिनों को दान, उपवास आदि धार्मिक कर्मों के लिये अत्यन्त शुभ एवं कल्याणकारी माना जाता है।
मकर संक्रान्ति, सर्वाधिक लोकप्रिय हिन्दु उत्सवों में से एक है। यह पर्व भगवान सूर्य को समर्पित है, जो समस्त चराचर जगत को अपने तेज से प्रकाशित करते हैं। मकर संक्रान्ति को दान-पुण्य, जप-तप, स्नान, हवन-यज्ञ आदि धार्मिक गतिविधियों के लिये अत्यधिक शुभ माना जाता है।
प्रस्तुत लेख में चार दिवसीय मकर संक्रान्ति उत्सव के विषय में विस्तृत वर्णन किया गया है। चार दिवसीय मकर संक्रान्ति उत्सव के अन्तर्गत गङ्गा सागर मेला, उत्तरायण, वासी उत्तरायण, मकरविलक्कू, पेड्डा पाण्डुगा, कनुमा पाण्डुगा तथा मुक्कनुमा आदि पर्व मनाये जाते हैं।
हिन्दु पञ्चाङ्ग के अनुसार एक वर्ष में 12 संक्रान्ति तिथियाँ होती हैं। उक्त बारह संक्रातियों को मुख्यतः चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है। इन चार श्रेणियों को अयन संक्रान्ति, विषुव संक्रान्ति, विष्णुपदी संक्रान्ति तथा षड्शिती मुखी संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है।
मकर संक्रान्ति पुण्य काल, मकर संक्रान्ति महा पुण्य काल तथा मकर संक्रान्ति फलम् सहित संक्रान्ति से सम्बन्धित अन्य समस्त आवश्यक विवरण इस लेख में उपलब्ध है। मकर संक्रान्ति भगवान सूर्य को समर्पित पर्व है, जिसे पोंगल एवं उत्तरायण के रूप में भी जाना जाता है।
प्रस्तुत लेख में मेष संक्रान्ति फलम्, मेष संक्रान्ति पुण्य काल तथा मेष संक्रान्ति महा पुण्य काल का समय प्रदान किया गया है। सूर्य के मेष राशि में प्रवेश को मेष संक्रान्ति कहा जाता है। अधिकांश सौर कैलेण्डरों में मेष संक्रान्ति को नववर्ष का सूचक माना जाता है।
प्रस्तुत लेख में संक्रान्ति की शुभकामनायें एवं ग्रीटिंग कार्ड्स प्रदान किये गये हैं। इन ग्रीटिंग कार्ड्स में भगवान सूर्य रथ पर, पतंग उड़ाते भगवान गणेश, बिहु नृत्य करते हुये लोग तथा संक्रान्ति महोत्सव मनाती स्त्रियों के चित्र आदि दिये गये हैं, जिन्हें आप अपने प्रियजनों से साझा कर सकते हैं।
पोंगल एक लोकप्रिय हिन्दु त्यौहार है, जिसे तमिल नाडु के लोगो द्वारा थाई मास के प्रथम दिवस पर मनाया जाता है। आप इस लेख में थाई पोंगल संक्रान्ति का क्षण ज्ञात कर सकते हैं। थाई पोंगल को उत्तर भारतीय राज्यों में मकर संक्रान्ति के रूप में मनाया जाता है, जो भगवान सूर्य को समर्पित पर्व है।
कुम्भ मेला हिन्दु धर्म के अनुयायियों के लिये सर्वाधिक महत्वपूर्ण मेला है। यह मेला एक निश्चित समयावधि के पश्चात् किसी पवित्र नदी के तट पर आयोजित किया जाता है। इस मेले में सम्मिलित होने एवं पवित्र स्नान करने हेतु सुदूरवर्ती क्षेत्रों से लाखों की सँख्या में लोग एवं साधु-सन्त आते हैं।
विश्वकर्मा पूजा के दिन कन्या संक्रान्ति क्षण ज्ञात करने हेतु विस्तृत लेख का अवलोकन करें। कन्या संक्रान्ति के अवसर पर विश्वकर्मा देव की पूजा की जाती है। भगवान विश्वकर्मा को सृजन एवं निर्माण के देवता के रूप में पूजा जाता है। इस दिन को भाद्र संक्रान्ति के नाम से भी जाना जाता है।
इस पृष्ठ पर संक्रान्ति के लिये रंगोली का संग्रह प्रदान किया गया है। विभिन्न क्षेत्रों में इन रंगोलियों को पोंगल कोलम, संक्रान्ति मुग्गु तथा संक्रान्ति अल्पना के नाम से भी जाना जाता है। प्रस्तुत लेख में चरणबद्ध रूप से रंगीन चित्रों के माध्यम से रंगोली बनाने की विधि का वर्णन किया गया है।
प्रस्तुत लेख में रथम रंगोली अथवा रथ रंगोली रचनायें प्रदान की गयी हैं। यहाँ बिन्दु से बिन्दु जोड़कर सरलता से रथ रंगोली बनाने की विधि का सचित्र वर्णन किया गया है। बिन्दु की सहायता से बनाये जाने के कारण इन रंगोलियों को रथम बिन्दु रंगोली के नाम से भी जाना जाता है।
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन। त्रिभुवन - तिमिर - निकन्दन, भक्त-हृदय-चन्दन॥ जय कश्यप-नन्दन...॥ भगवान सूर्य को समर्पित सर्वाधिक प्रचलित एवं लोकप्रिय आरतियों में से एक है। इस आरती का गायन भगवान सूर्यदेव की उपासना एवं दैनिक पूजन में किया जाता है।
1. ॐ अरुणाय नमः। 2. ॐ शरण्याय नमः। 3. ॐ करुणारससिन्धवे नमः। ... 107. ॐ निखिलागमवेद्याय नमः। 108. ॐ नित्यानन्दाय नमः। आदि नामों से युक्त भगवान सूर्य की अष्टोत्तर शतनामावली, अर्थ एवं वीडियो सहित प्रदान की गयी है।
जय सविता जय जयति दिवाकर। सहस्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!। सविता हंस! सुनूर विभाकर॥ उपरोक्त स्तुति भगवान सूर्य को समर्पित सर्वाधिक प्रचलित स्तुतियों में से एक है, जिसे सूर्य चालीसा के नाम से जाना जाता है। भक्तगण इसका गायन सूर्यदेव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु करते हैं।