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ऑनलाइन दैनिक पञ्चाङ्ग Fallbrook, California, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिये

DeepakDeepak

मई 01, 2025

Tithi Icon
20, वैशाख
शुक्ल पक्ष, पञ्चमी
2082 कालयुक्त, विक्रम सम्वत
Fallbrook, संयुक्त राज्य अमेरिका
01
मई 2025
बृहस्पतिवार

सूर्योदय एवं चन्द्रोदय

06:01 ए एम
Sunrise
07:32 पी एम
Sunset
09:10 ए एमMoonrise
12:32 ए एम, मई 02Moonset

पञ्चाङ्ग

तिथि
पञ्चमी - 08:44 पी एम तक
Shukla Panchami
आर्द्रा - 12:34 ए एम, मई 02 तक
Ardra
योग
सुकर्मा - 05:09 पी एम तक
करण
बव - 09:43 ए एम तक
बालव - 08:44 पी एम तक
वार
गुरुवार
कौलव
पक्ष
शुक्ल पक्षShukla Paksha
 
 

चन्द्र मास, सम्वत एवं बृहस्पति संवत्सर

विक्रम सम्वत
2082 कालयुक्त
बृहस्पति संवत्सर
कालयुक्त - 02:37 ए एम, अप्रैल 25, 2025 तक
शक सम्वत
1947 विश्वावसु
सिद्धार्थी
गुजराती सम्वत
2081 नल
चन्द्रमास
वैशाख - पूर्णिमान्त
प्रविष्टे/गते
19
वैशाख - अमान्त

राशि तथा नक्षत्र

मिथुन
Mithuna
नक्षत्र पद
आर्द्रा - 07:27 ए एम तकFirst Nakshatra Pada
मेष
Mesha
आर्द्रा - 01:07 पी एम तकSecond Nakshatra Pada
सूर्य नक्षत्र
भरणीBharani
आर्द्रा - 06:49 पी एम तकThird Nakshatra Pada
सूर्य नक्षत्र पद
भरणीSecond Nakshatra Pada
आर्द्रा - 12:34 ए एम, मई 02 तकFourth Nakshatra Pada
 
 
पुनर्वसुFirst Nakshatra Pada

ऋतु तथा अयन

द्रिक ऋतु
ग्रीष्मGrishma
दिनमान
13 घण्टे 31 मिनट्स 37 सेकण्ड्स
वैदिक ऋतु
वसन्तVasant
रात्रिमान
10 घण्टे 27 मिनट्स 23 सेकण्ड्स
द्रिक अयन
उत्तरायण
मध्याह्न
12:46 पी एम
वैदिक अयन
उत्तरायण
 
 

शुभ समय

ब्रह्म मुहूर्त
04:37 ए एम से 05:19 ए एम
प्रातः सन्ध्या
04:58 ए एम से 06:01 ए एम
12:19 पी एम से 01:13 पी एम
विजय मुहूर्त
03:02 पी एम से 03:56 पी एम
गोधूलि मुहूर्त
07:31 पी एम से 07:52 पी एम
सायाह्न सन्ध्या
07:32 पी एम से 08:35 पी एम
अमृत काल
03:06 पी एम से 04:37 पी एम
निशिता मुहूर्त
12:25 ए एम, मई 02 से 01:07 ए एम, मई 02
सर्वार्थ सिद्धि योग
12:34 ए एम, मई 02 से 06:00 ए एम, मई 02
रवि योग
12:34 ए एम, मई 02 से 06:00 ए एम, मई 02

अशुभ समय

02:28 पी एम से 04:09 पी एमRahu Kalam
यमगण्ड
06:01 ए एम से 07:42 ए एम
गुलिक काल
09:23 ए एम से 11:05 ए एम
विडाल योग
12:34 ए एम, मई 02 से 06:00 ए एम, मई 02
09:48 ए एम से 11:19 ए एम
दुर्मुहूर्त
10:31 ए एम से 11:25 ए एम
बाण
रोग - 02:04 ए एम, मई 02 तकBaana
03:56 पी एम से 04:50 पी एम

आनन्दादि एवं तमिल योग

आनन्दादि योग
काण - 12:34 ए एम, मई 02 तकInauspicious
तमिल योग
मरण - 12:34 ए एम, मई 02 तक
सिद्धिAuspicious
अमृत
जीवनम
अर्ध जीवन½
नेत्रम
एक नेत्र𝟣

निवास और शूल

बुध
दिशा शूल
दक्षिणSouth
पृथ्वी
Earth
चन्द्र वास
पश्चिमWest
कैलाश पर - 08:44 पी एम तक
Shiva Linga
राहु वास
दक्षिणSouth
नन्दी पर
Shiva Linga
कुम्भ चक्र
पूर्व - 12:34 ए एम, मई 02 तक
Inauspicious
 
 
दक्षिण
Auspicious

अन्य कैलेण्डर एवं युग

कलियुग
5126 वर्ष
लाहिरी अयनांश
24.217682Ayanamsha
कलि अहर्गण
1872331 दिन
राटा डाई
739372
जूलियन दिनाङ्क
अप्रैल 18, 2025 सीई
जूलियन दिन
2460796.5 दिन
राष्ट्रीय नागरिक दिनाङ्क
वैशाख 11, 1947 शकIndian Flag
संशोधित जूलियन दिन
60796 दिन
राष्ट्रीय निरयण दिनाङ्क
वैशाख 18, 1947 शकIndian Flag
 
 

चन्द्रबलम & ताराबलम

निम्न राशि के लिए उत्तम चन्द्रबलम अगले दिन सूर्योदय तक
MeshaमेषMithunaमिथुनSimhaसिंहKanyaकन्याDhanuधनुMakaraमकर
*वृश्चिक राशि में जन्में लोगो के लिए अष्टम चन्द्र
*विशाखा के अन्तिम पद, अनुराधा, ज्येष्ठा में जन्में लोगो के लिए अष्टम चन्द्र
निम्न नक्षत्र के लिए उत्तम ताराबलम 12:34 ए एम, मई 02 तक
Ashwiniअश्विनीKrittikaकृत्तिकाMrigashiraमृगशिराPunarvasuपुनर्वसुPushyaपुष्यMaghaमघाUttara Phalguniउत्तराफाल्गुनीChitraचित्राVishakhaविशाखाAnuradhaअनुराधाMulaमूलUttara Ashadhaउत्तराषाढाDhanishthaधनिष्ठाPurva Bhadrapadaपूर्व भाद्रपदUttara Bhadrapadaउत्तर भाद्रपद
निम्न नक्षत्र के लिए उत्तम ताराबलम अगले दिन सूर्योदय तक
BharaniभरणीRohiniरोहिणीArdraआर्द्राPushyaपुष्यAshleshaअश्लेशाPurva Phalguniपूर्वाफाल्गुनीHastaहस्तSwatiस्वातीAnuradhaअनुराधाJyeshthaज्येष्ठाPurva Ashadhaपूर्वाषाढाShravanaश्रवणShatabhishaशतभिषाUttara Bhadrapadaउत्तर भाद्रपदRevatiरेवती

पञ्चक रहित मुहूर्त एवं उदय-लग्न

आज के दिन के लिए पञ्चक रहित मुहूर्त
रोग पञ्चक - 06:01 ए एम से 06:47 ए एम
शुभ मुहूर्त - 06:47 ए एम से 08:40 ए एम
मृत्यु पञ्चक - 08:40 ए एम से 10:56 ए एम
अग्नि पञ्चक - 10:56 ए एम से 01:20 पी एम
शुभ मुहूर्त - 01:20 पी एम से 03:43 पी एम
रज पञ्चक - 03:43 पी एम से 06:04 पी एम
शुभ मुहूर्त - 06:04 पी एम से 08:28 पी एम
चोर पञ्चक - 08:28 पी एम से 08:44 पी एम
शुभ मुहूर्त - 08:44 पी एम से 10:49 पी एम
रोग पञ्चक - 10:49 पी एम से 12:34 ए एम, मई 02
शुभ मुहूर्त - 12:34 ए एम, मई 02 से 12:52 ए एम, मई 02
मृत्यु पञ्चक - 12:52 ए एम, मई 02 से 02:30 ए एम, मई 02
अग्नि पञ्चक - 02:30 ए एम, मई 02 से 03:53 ए एम, मई 02
शुभ मुहूर्त - 03:53 ए एम, मई 02 से 05:12 ए एम, मई 02
मृत्यु पञ्चक - 05:12 ए एम, मई 02 से 06:00 ए एम, मई 02
आज के दिन के लिए उदय-लग्न मुहूर्त
Mesha
मेष - 05:16 ए एम से 06:47 ए एम
Vrishabha
वृषभ - 06:47 ए एम से 08:40 ए एम
Mithuna
मिथुन - 08:40 ए एम से 10:56 ए एम
Karka
कर्क - 10:56 ए एम से 01:20 पी एम
Simha
सिंह - 01:20 पी एम से 03:43 पी एम
Kanya
कन्या - 03:43 पी एम से 06:04 पी एम
Tula
तुला - 06:04 पी एम से 08:28 पी एम
Vrishchika
वृश्चिक - 08:28 पी एम से 10:49 पी एम
Dhanu
धनु - 10:49 पी एम से 12:52 ए एम, मई 02
Makara
मकर - 12:52 ए एम, मई 02 से 02:30 ए एम, मई 02
Kumbha
कुम्भ - 02:30 ए एम, मई 02 से 03:53 ए एम, मई 02
Meena
मीन - 03:53 ए एम, मई 02 से 05:12 ए एम, मई 02

टिप्पणी: सभी समय १२-घण्टा प्रारूप में Fallbrook, संयुक्त राज्य अमेरिका के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।

वैदिक ज्योतिष में पञ्चाङ्ग समय की भाँति होता है। आधुनिक युग में लोग समय देखने के लिये कैलेण्डर एवं घड़ी का उपयोग करते हैं, किन्तु हिन्दु धर्म के अनुयायी समय देखने हेतु पञ्चाङ्ग का उपयोग करते हैं। पञ्चाङ्ग से न केवल सूर्योदय, सूर्यास्त, चन्द्रोदय तथा चन्द्रास्त के विषय में ज्ञात होता है, अपितु इसमें दिन के सभी शुभ एवं अशुभ मुहूर्त भी वर्णित होते हैं।

अन्य शब्दों में कहें तो पञ्चाङ्ग एक वैदिक समय सूचक अर्थात् घड़ी है, जो केवल उस भौगोलिक स्थान के लिये मान्य होती है, जिसके लिये इसे बनाया जाता है। इसीलिये, विश्व के प्रत्येक नगर के लिये भिन्न-भिन्न पञ्चाङ्ग निर्मित किये जाते हैं।

तिथि, नक्षत्र, योग, करण तथा वार, यह पञ्चाङ्ग के पाँच मूलभूत तत्व होते हैं। पञ्चाङ्गकर्ताओं द्वारा इन पाँच अङ्गों तथा इनके अतिरिक्त लग्न, सूर्योदय, सूर्यास्त, चन्द्रोदय, दिवस तथा रात्रि की अवधि, चन्द्र एवं सूर्य की राशि स्थितियों आदि के संयोग से अनेक शुभ एवं अशुभ योगों का विश्लेषण किया जाता है।

पञ्चाङ्ग में कुछ ऐसे योगों को भी सम्मिलित किया गया है जिनका संयोग प्रतिदिन नहीं अपितु यदा-कदा होता है। द्रिक पञ्चाङ्ग के अन्तर्गत भद्रा, पंचक, गण्ड मूल, विंछुड़ो, द्विपुष्कर योग, त्रिपुष्कर योग, रवि पुष्य योग, गुरु पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, रवि योग, ज्वालामुखी योग, आडल योग तथा विडाल योग आदि योगों को भी सम्मिलित किया गया है। ये सभी दैनिक पञ्चाङ्ग के अत्यन्त महत्वपूर्ण शुभ एवं अशुभ योग हैं, जिनका संयोग किसी भी दिन यादृच्छिक रूप से निर्मित होता रहता है।

पञ्चाङ्ग एक वैदिक घड़ी के समान है जिसका अवलोकन मुहूर्त गणना हेतु पूरे दिन किया जा सकता है। निम्नोक्त महत्वपूर्ण क्रियाकलापों के लिये निरन्तर रूप से पञ्चाङ्ग की आवश्यकता होती है -

  1. ब्रह्म मुहूर्त - इस मुहूर्त में जागना एवं प्रथम पूजन करना महत्वपूर्ण होता है। सभी मनुष्यों को धार्मिक एवं शैक्षणिक गतिविधियाँ आरम्भ करने के लिये इस शुभ मुहूर्त में उठने का सुझाव दिया जाता है।
  2. प्रातः सन्ध्या - यह हिन्दु धर्म के अनुयायियों के लिये एक अति महत्वपूर्ण अनुष्ठान एवं दैनिक रूप से की जाने वाली तीन सन्ध्याओं में से एक है।
  3. मध्याह्न सन्ध्या - यह तीन दैनिक सन्ध्याओं में से एक है जो मध्याह्न काल में की जाती है। मध्याह्न सन्ध्या, अभिजित मुहूर्त के समय की जाती है, जो एक शुभ मुहूर्त है।
  4. सायाह्न सन्ध्या - यह हिन्दुओं के लिये एक आवश्यक अनुष्ठान है, जो दैनिक रूप से की जाने वाली तीन सन्ध्याओं में से एक है।
  5. राहु काल - यह एक अशुभ समयावधि है। राहु काल में किसी भी प्रकार का शुभ कार्य आरम्भ नहीं करना चाहिये। राहु काल भारत के दक्षिणी राज्यों में अधिक प्रचलित है।
  6. अभिजित मुहूर्त - यह दिन के मध्य में एक शुभ समयावधि है। यदि कोई शुभ मुहूर्त उपलब्ध नहीं है तो उस स्थिति में अभिजित मुहूर्त में सभी प्रकार के शुभ कार्य किये जा सकते हैं।
  7. विजय मुहूर्त - यह एक शुभ मुहूर्त है। विजय मुहूर्त यात्रा आरम्भ करने हेतु शुभ माना जाता है। इस मुहूर्त में यात्रा आरम्भ करने से यात्रा सफल होती है तथा यात्रा का उद्देश्य पूर्ण होता है।
  8. सङ्कल्प - यह पूजन अनुष्ठान का एक अभिन्न अङ्ग है। सङ्कल्प के द्वारा कालचक्र के एक निश्चित क्षण में पूर्ण इच्छाशक्ति द्वारा देश, काल, समय आदि के उच्चारण सहित अनुष्ठान सम्बन्धित प्रतिज्ञा को दृढ़ एवं पुष्ट किया जाता है। सङ्कल्प हेतु पञ्चाङ्ग के सभी पाँच तत्वों की आवश्यकता होती है। इन पाँच तत्वों के अतिरिक्त सङ्कल्प में राशिमण्डल के नव ग्रहों, मुख्यतः चन्द्र, सूर्य एवं बृहस्पति की स्थिति भी सम्मिलित होती है।
  9. सूर्योदय - सूर्य नमस्कार करने एवं उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पण करने हेतु सूर्योदय का उचित समय ज्ञात होना आवश्यक है। अतः पञ्चाङ्ग की आवश्यकता प्रतिदिन होती है, क्योंकि सूर्योदय का समय वर्ष पर्यन्त परिवर्तित होता रहता है।
  10. चन्द्रोदय - चन्द्र देव से सम्बन्धित भी अनेक अनुष्ठान होते हैं। संकष्टी चतुर्थी तथा कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर भी उदीयमान चन्द्र की पूजा-अर्चना की जाती है।

उपरोक्त उदाहरण विशाल सागर में एक तुच्छ जलबिन्दु के समान हैं। इसके अतिरिक्त भी हिन्दु धर्मावलम्बी अनेक प्रकार से पञ्चाङ्ग का उपयोग करते हैं। आगामी त्यौहार एवं व्रत के दिवस, विभिन्न महत्वपूर्ण शुभ एवं अशुभ योगों की गणना के लिये भी दैनिक पञ्चाङ्ग का उपयोग किया जाता है।

Kalash
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