devotionally made & hosted in India
Search
Mic
Android Play StoreIOS App Store
Ads Subscription Disabled
हि
Setting
Clock
Ads Subscription Disabledविज्ञापन हटायें
X

2025 जगद्धात्री पूजा का दिन और समय लँकेस्टर, California, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए

DeepakDeepak
  • होम
  • जगद्धात्री पूजा

2025 जगद्धात्री पूजा

लँकेस्टर, संयुक्त राज्य अमेरिका
जगद्धात्री पूजा
30वाँ
अक्टूबर 2025
Thursday / गुरुवार
देवी जगद्धात्री
Goddess Jagaddhatri

जगद्धात्री पूजा समय

जगद्धात्री पूजा बृहस्पतिवार, अक्टूबर 30, 2025 को
अक्षय नवमी बृहस्पतिवार, अक्टूबर 30, 2025 को
नवमी तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 29, 2025 को 09:36 पी एम बजे
नवमी तिथि समाप्त - अक्टूबर 30, 2025 को 09:33 पी एम बजे

टिप्पणी: सभी समय १२-घण्टा प्रारूप में लँकेस्टर, संयुक्त राज्य अमेरिका के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।

जगद्धात्री पूजा 2025

हिन्दु पञ्चाङ्ग के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी को देवी जगद्धात्री की पूजा की जाती है। इनकी पूजा विशेष रूप से पश्चिम बंगाल तथा बिहार के मधुबनी आदि क्षेत्रों में अत्यन्त हर्षोल्लास से होती है। देवी जगद्धात्री, माँ दुर्गा के ही विभिन्न रूपों में से एक हैं। जगद्धात्री का शाब्दिक अर्थ "जगत की माता", "जगत की धारक" अथवा "संसार का पालन करने वाली" भी होता है। अतः देवी जगद्धात्री को इस सम्पूर्ण सृष्टि का पालन करने वाली देवी के रूप में भी पूजा जाता है। भारत के पूर्वी भाग, विशेषतः पश्चिम बंगाल, ओडिशा एवं त्रिपुरा में देवी जगद्धात्री की उपासना अत्यन्त प्रचलित है।

जगद्धात्री देवी का स्वरूप शान्त, उदार एवं सशक्त है। वह सदा सौम्य मुद्रा में सिंह पर आरूढ़ रहती हैं, लाल वस्त्रों से विभूषित होती हैं तथा उनके कर-कमलों में शङ्ख, चक्र, धनुष एवं बाण सुशोभित रहते हैं। देवी माँ को त्रिनेत्र धारण किये हुये दर्शाया जाता है।

शक्तिसंगम तन्त्र, कामाख्या तन्त्र, भविष्यपुराण, स्मृतिसंग्रह तथा दुर्गाकल्प आदि विभिन्न धर्मग्रन्थों में देवी जगद्धात्री के विषय में वर्णन प्राप्त होता है। शाक्त सम्प्रदाय में देवी का यह रूप तामसिकता पर सात्त्विकता की विजय का प्रतिरूप माना जाता है। देवी माँ को एक सिंह पर आरूढ़ दर्शाया जाता है तथा उस सिंह के पग के तले करिन्द्रासुर नामक एक गज होता है जिसे मद अथवा अहङ्कार का प्रतीक माना जाता है।

ऐतिहासिक रूप से, जगद्धात्री पूजा का प्रारम्भ नादिया जिले के कृष्णनगर में माना जाता है, जहाँ 18वीं शताब्दी के राजा कृष्णचन्द्र राय ने इस पूजा को सार्वजनिक रूप से आयोजित करना आरम्भ किया था। मान्यताओं के अनुसार शारदीय दुर्गा पूजा में आवश्यक विधि से पूजा न कर पाने के कारण, उन्होंने पश्चात्ताप-स्वरूप कार्तिक मास में देवी की पूजा जगद्धात्री रूप में की थी। कालान्तर में यह पूजा व्यापक रूप से प्रचलित हो गयी।

बंगाल के श्रीरामकृष्ण परमहंस ने भी देवी जगद्धात्री को आध्यात्मिक साधना में विशेष स्थान दिया था। उनके अनुसार - "देवी जगद्धात्री की पूजा करने से मनुष्य का हृदय भय, काम, क्रोध, मोह एवं मद आदि दुर्गुणों से मुक्त हो जाता है।"

पौराणिक कथा के अनुसार एक समय इन्द्र का वाहन ऐरावत शापित होकर करिन्द्रासुर नामक राक्षस बन गया। वह अत्यन्त बलशाली हो गया तथा शक्ति के मद में चूर होकर एक दिन देवी गङ्गा के रूप-सौन्दर्य से आकर्षित हो गया। उसने देवी गङ्गा को विवाह का प्रस्ताव दिया, जिसे देवी ने ठुकरा दिया। इससे क्रोधित होकर करिन्द्रासुर ने बलपूर्वक उनका हरण करने का प्रयास किया। उस समय देवी गङ्गा ने देवी आदि शक्ति महालया की आराधना की। उनकी प्रार्थना पर देवी, जगद्धात्री के रूप में प्रकट हुयीं तथा करिन्द्रासुर का वध किया। उसी दिन से वे करिन्द्रासुर-निशूदिनी कहलायीं। करिन्द्रासुर का संहार होने पर वह पापमुक्त होकर पुनः इन्द्र के वाहन ऐरावत के रूप में प्रतिष्ठित हो गया।

एक अन्य आख्यान के अनुसार, करिन्द्रासुर दुर्गमासुर का प्रधान सेनापति था। जब देवी दुर्गा ने दुर्गमासुर का वध किया, तब वे जगद्धात्री के रूप में प्रकट हुयीं एवं युद्ध में करिन्द्रासुर का वध किया। एक अन्य कथा में उल्लेख प्राप्त होता है कि जब महिषासुर ने देवी कात्यायनी से युद्ध करते समय हाथी का रूप धारण कर लिया, तब वही करिन्द्रासुर कहलाया। तदुपरान्त देवी ने जगद्धात्री रूप में चक्र, धनुष-बाण आदि आयुधों से उसका वध किया। इस दृष्टि से महिषासुर एवं करिन्द्रासुर केवल रूप से ही भिन्न हैं।

Name
Name
Email
द्रिकपञ्चाङ्ग पर टिप्पणी दर्ज करने के लिये गूगल अकाउंट से लॉग इन करें।
टिप्पणी
और लोड करें ↓
Kalash
कॉपीराइट नोटिस
PanditJi Logo
सभी छवियाँ और डेटा - कॉपीराइट
Ⓒ www.drikpanchang.com
प्राइवेसी पॉलिसी
द्रिक पञ्चाङ्ग और पण्डितजी लोगो drikpanchang.com के पञ्जीकृत ट्रेडमार्क हैं।
Android Play StoreIOS App Store
Drikpanchang Donation