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2025 शाकम्भरी नवरात्रि | शाकम्भरी अष्टमी का दिन Mogoditshane, Kweneng, Botswana के लिये

DeepakDeepak

2025 बनादा अष्टमी

Mogoditshane, Botswana
बनादा अष्टमी
7वाँ
जनवरी 2025
Tuesday / मंगलवार
Mogoditshane, Botswana
बनादा अष्टमी
28वाँ
दिसम्बर 2025
Sunday / रविवार
शाकम्भरी नवरात्रि
Ghatasthapana

शाकम्भरी नवरात्रि समय

शाकम्भरी नवरात्रि मंगलवार, जनवरी 7, 2025 को
शाकम्भरी जयन्ती सोमवार, जनवरी 13, 2025 को
शाकम्भरी नवरात्रि मंगलवार, जनवरी 7, 2025 से प्रारम्भ
शाकम्भरी नवरात्रि सोमवार, जनवरी 13, 2025 को समाप्त
अष्टमी तिथि प्रारम्भ - जनवरी 06, 2025 को 14:53 बजे
अष्टमी तिथि समाप्त - जनवरी 07, 2025 को 12:56 बजे

शाकम्भरी नवरात्रि समय

शाकम्भरी नवरात्रि रविवार, दिसम्बर 28, 2025 को
शाकम्भरी जयन्ती शनिवार, जनवरी 3, 2026 को
शाकम्भरी नवरात्रि रविवार, दिसम्बर 28, 2025 से प्रारम्भ
शाकम्भरी नवरात्रि शनिवार, जनवरी 3, 2026 को समाप्त
अष्टमी तिथि प्रारम्भ - दिसम्बर 27, 2025 को 09:39 बजे
अष्टमी तिथि समाप्त - दिसम्बर 28, 2025 को 08:29 बजे

टिप्पणी: सभी समय २४-घण्टा प्रारूप में Mogoditshane, Botswana के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।

2025 बनादा अष्टमी

शाकम्भरी नवरात्रि, पौष शुक्ल अष्टमी से आरम्भ होकर पौष पूर्णिमा पर समाप्त होती है। पौष शुक्ल अष्टमी को बनादा अष्टमी अथवा बनादाष्टमी के रूप में जाना जाता है।

शाकम्भरी नवरात्रि के अतिरिक्त अधिकांश नवरात्रि शुक्ल प्रतिपदा से आरम्भ होती हैं, किन्तु शाकम्भरी नवरात्रि पौष माह की अष्टमी तिथि से आरम्भ होती है एवं पूर्णिमा पर समाप्त होती है। अतः शाकम्भरी नवरात्रि उत्सव कुल आठ दिनों तक मनाया जाता है। हालाँकि, कुछ वर्षों में क्षय तिथि और अधिक तिथि होने के कारण, शाकम्भरी नवरात्रि की समयावधि सात एवं नौ दिनों तक की हो सकती है।

शाकम्भरी माता देवी भगवती का ही अवतार हैं। मान्यताओं के अनुसार, देवी भगवती ने पृथ्वी को अकाल तथा खाद्य संकट से मुक्त करने हेतु देवी शाकम्भरी के रूप में अवतार लिया था। शाकम्भरी माता को, सब्जियों, फलों तथा हरी पत्तियों की देवी के रूप में भी जाना जाता है तथा उन्हें फलों एवं सब्जियों के हरे-भरे परिवेश में विराजमान दर्शाया जाता है।

शाकम्भरी नवरात्रि का समापन पौष पूर्णिमा पर होता है, जिसे शाकम्भरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। शाकम्भरी पूर्णिमा को शाकम्भरी जयन्ती के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि यह मान्यता है कि, देवी शाकम्भरी का प्रादुर्भाव शाकम्भरी पूर्णिमा के दिन ही हुआ था।

राजस्थान, उत्तर प्रदेश, कर्णाटक, महाराष्ट्र तथा तमिल नाडु के कुछ क्षेत्रों में शाकम्भरी नवरात्रि अधिक लोकप्रिय है। कर्णाटक में, शाकम्भरी देवी को बनशंकरी देवी के रूप में जाना जाता है तथा नवरात्रि के समय बनादा अष्टमी को अत्यन्त महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।

Kalash
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