यन्त्र साधना के अन्तर्गत, चौंतीसा यन्त्र को अत्यन्त शक्तिशाली माना जाता है। इस यन्त्र को सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। चौंतीसा यन्त्रों में से एक यन्त्र देवी लक्ष्मी को समर्पित है तथा इसे लक्ष्मी चौंतीसा यन्त्र के नाम से जाना जाता है।
लक्ष्मी चौंतीसा यन्त्र का निर्माण भोज पत्र पर चन्दन की लकड़ी से निर्मित लाल स्याही तथा अनार के वृक्ष की लकड़ी से निर्मित कलम से किया जाता है। दीवाली पूजा के समय इस यन्त्र को देवी लक्ष्मी के समक्ष स्थापित किया जाता है। अगले दिन यन्त्र को कार्यालय अथवा घर में धन रखने के स्थान पर विराजमान कर दिया जाता है। यह उपाय करने से व्यापार तथा घर में धन एवं समृद्धि का आगमन होता है।
दीवाली लक्ष्मी पूजा के अतिरिक्त, रवि पुष्य नक्षत्र के दिन भी यन्त्र की पूजा की जा सकती है।
देवनागरी में चौंतीस का तात्पर्य 34 की सँख्या से है। यन्त्र प्रारूप पर अंकित सँख्याओं का योग विभिन्न क्रमपरिवर्तन एवं संयोजनों में 34 होता है, इसीलिये यन्त्र को चौंतीसा अथवा चौतीसा के नाम से जाना जाता है। चौतीसा, अर्थात जिसका सभी प्रकार से योग 34 होता है।
यह उल्लेखनीय है कि, सभी 4 पंक्तियाँ, 4 स्तम्भ, 2 विकर्ण, सभी 2x2 उप-वर्ग, प्रत्येक 3x3 वर्ग तथा 4x4 वर्ग के कोने, 3 ऊर्ध्वाधर एवं 3 क्षैतिज आयतों के कोने, 2 झुके हुये आयतों के कोनों का योग 34 ही होता है।
चौंतीसा यन्त्र की पंक्तियाँ
चौंतीसा यन्त्र के पद अथवा स्तम्भ
चौंतीसा यन्त्र के विकर्ण
2x2 उप-वर्गों के कोने
3x3 उप-वर्गों के कोने
4x4 पूर्ण-वर्ग के कोने
ऊर्ध्वाधर आयतों के कोने
क्षैतिज आयतों के कोने
झुके हुये आयतों के कोने