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-4486 महा शिवरात्रि कोलंबस, Ohio, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए

DeepakDeepak

-4486 महा शिवरात्रि

कोलंबस, संयुक्त राज्य अमेरिका
महा शिवरात्रि
14वाँ
नवम्बर -4486
Friday / शुक्रवार
महा शिवरात्रि पूजा
Maha Shivaratri Pujan

महा शिवरात्रि मुहूर्त

महा शिवरात्रि शुक्रवार, नवम्बर 14, -4486 को
निशिता काल पूजा समय - 00:06 से 01:02, नवम्बर 15
अवधि - 00 घण्टे 57 मिनट्स
15वाँ नवम्बर को, शिवरात्रि पारण समय - 07:40, नवम्बर 15
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - 17:28 से 21:01
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - 21:01 से 00:34, नवम्बर 15
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - 00:34 से 04:07, नवम्बर 15
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - 04:07 से 07:40, नवम्बर 15
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ - नवम्बर 14, -4486 को 01:59 बजे
चतुर्दशी तिथि समाप्त - नवम्बर 15, -4486 को 04:31 बजे

टिप्पणी: सभी समय २४-घण्टा प्रारूप में कोलंबस, संयुक्त राज्य अमेरिका के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।

महा शिवरात्रि -4486

शिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का एक महान पर्व है। दक्षिण भारतीय पञ्चाङ्ग के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन महा शिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है। उत्तर भारतीय पञ्चाङ्ग के अनुसार, फाल्गुन माह में आने वाली मासिक शिवरात्रि को महा शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। दोनों पञ्चाङ्ग में सिर्फ महीनों के नामकरण की परंपरा का अन्तर है, क्यूंकि दोनों ही पद्धति में शिवरात्रि एक ही दिन मनाई जाती है।

व्रत विधि

शिवरात्रि के एक दिन पहले, मतलब त्रयोदशी तिथि के दिन, भक्तों को केवल एक समय ही भोजन ग्रहण करना चाहिए। शिवरात्रि के दिन, सुबह नित्य कर्म करने के पश्चात्, भक्त गणों को पुरे दिन के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। संकल्प के दौरान, भक्तों को मन ही मन अपनी प्रतिज्ञा दोहरानी चाहिए और भगवान शिव से व्रत को निर्विघ्न रूप से पूर्ण करने हेतु आशीर्वाद मांगना चाहिए। हिन्दु धर्म में व्रत कठिन होते है, भक्तों को उन्हें पूर्ण करने हेतु श्रद्धा व विश्वास रखकर अपने आराध्य देव से उसके निर्विघ्न पूर्ण होने की कामना करनी चाहिए।

शिवरात्रि के दिन भक्तों को सन्ध्याकाल स्नान करने के पश्चात् ही पूजा करना चाहिए या मन्दिर जाना चाहिए। शिव भगवान की पूजा रात्रि के समय करना चाहिए एवं अगले दिन स्नानादि के पश्चात् अपना व्रत छोड़ना चाहिए। व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करने हेतु, भक्तों को सूर्योदय व चतुर्दशी तिथि के अस्त होने के मध्य के समय में ही व्रत का समापन करना चाहिए। लेकिन, एक अन्य धारणा के अनुसार, व्रत के समापन का सही समय चतुर्दशी तिथि के पश्चात् का बताया गया है। दोनों ही अवधारणा परस्पर विरोधी हैं। लेकिन, ऐसा माना जाता है की, शिव पूजा और पारण (व्रत का समापन), दोनों की चतुर्दशी तिथि अस्त होने से पहले करना चाहिए।

शिवरात्रि पूजा रात्रि के समय एक बार या चार बार की जा सकती है। रात्रि के चार प्रहर होते हैं, और हर प्रहर में शिव पूजा की जा सकती है। द्रिक पञ्चाङ्ग ने अपने भक्तों के लिए रात्रि के चारों प्रहर के समय व अवधि को सूचीबद्ध किया है, जिससे चारों प्रहर की पूजा भक्त आसानी से कर सकें। यहाँ पर निशिता समय भी उपलब्ध किया गया है, यह वह समय है जब भगवान शिव अपने लिंग रूप में धरती पर अवतरित हुए थे। भक्त द्रिक पञ्चाङ्ग पर व्रत समापन का समय भी देख सकते हैं।

Kalash
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