देवी लक्ष्मी के अष्टलक्ष्मी स्वरूपों में से एक सन्तान लक्ष्मी भी हैं। सन्तान सुख की प्राप्ति की कामना से देवी सन्तान लक्ष्मी की आराधना की जाती है। देवी लक्ष्मी अपने भक्तों की कामना की पूर्ति हेतु विभिन्न रूप धारण करती रहती हैं। देवी सन्तान लक्ष्मी के पवित्र स्वरूप की पूजा-अर्चना करने से सन्तान प्राप्ति में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है। सन्तान लक्ष्मी को अनन्त लक्ष्मी नाम से भी जाना जाता है। सन्तान लक्ष्मी अपने भक्तगणों को सन्तान प्रदान करती हैं।
देवी लक्ष्मी के अष्ट लक्ष्मी स्वरूपों में पाँचवाँ स्वरूप सन्तानलक्ष्मी के नाम से जाना जाता है। श्रीमद्देवीभागवत पुराण में देवी आदिशक्ति के पाँचवें स्वरूप को देवी स्कन्दमाता के रूप में वर्णित किया गया है। देवी स्कन्दमाता की गोद में बाल रूप में कार्तिकेय जी विराजमान रहते हैं। देवी सन्तानलक्ष्मी का स्वरूप भी देवी स्कन्दमाता के समान ही है। अतः देवी स्कन्दमाता एवं सन्तानलक्ष्मी को समान माना जाता है। देवी सन्तानलक्ष्मी की आराधना करने से सन्तान प्राप्ति में आने वाली बाधायें दूर होती हैं।
स्कन्द पुराण के अनुसार, देवी सन्तान लक्ष्मी को षट्भुज रूप में दर्शाया जाता है। देवी सन्तान लक्ष्मी अपने हाथों में क्रमशः दो कलश, एक तलवार, एक ढाल, अभय मुद्रा में एक हाथ और दूसरे हाथ से अपनी गोद पर बैठे हुये बालक को पकड़े हुये दर्शायी जाती हैं।
ॐ सन्तानलक्ष्म्यै नमः।
अहिखग वाहिनि मोहिनि चक्रिणि, रागविवर्धिनि ज्ञानमये
गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि, स्वरसप्त भूषित गाननुते।
सकल सुरासुर देवमुनीश्वर,मानववन्दित पादयुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि, सन्तानलक्ष्मी त्वं पालय माम्॥
देवी लक्ष्मी के सन्तान लक्ष्मी रूप के 108 नामों को देवी सन्तान लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनामावली के रूप में जाना जाता है - देवी सन्तान लक्ष्मी के 108 नाम।