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देवी सरस्वती | बुद्धि की देवी | माता सरस्वती

DeepakDeepak

देवी सरस्वती

देवी सरस्वती

हिन्दु धर्म में सरस्वती, ज्ञान, संगीत, कला, बुद्धि तथा विद्या की देवी हैं। वह सरस्वती, लक्ष्मी तथा पार्वती रूपी त्रिमूर्ति का भाग हैं। यह त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश की सृष्टि के निर्माण, पालन तथा विनाश (पुनरुद्धार) में सहायता करती हैं। देवी भागवत के अनुसार, देवी सरस्वती भगवान ब्रह्मा की अर्धांगिनी हैं। वह ब्रह्मपुरा नामक स्थान पर निवास करती हैं, जो भगवान ब्रह्मा का निवास स्थान है।

Goddess Saraswati
देवी सरस्वती, विद्या एवं बुद्धि के देवी

भगवान ब्रह्मा सृष्टि के रचयिता हैं तथा उन्होंने ही देवी सरस्वती की रचना भी की थी। इसीलिये उन्हें भगवान ब्रह्मा की पुत्री के रूप में भी जाना जाता है। देवी सरस्वती को देवी सावित्री एवं देवी गायत्री आदि नामों से भी जाना जाता है।

सरस्वती कुटुम्ब

भगवती सरस्वती को भगवान ब्रह्मा ने अपने मुख से प्रकट किया था। अतः वह वाणी, संगीत एवं विद्या की देवी के रूप में प्रतिष्ठित हो गयीं। मान्यताओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा देवी सरस्वती की सुन्दरता से इतने अधिक आसक्त हुये कि उन्होंने देवी से विवाह करने का निर्णय लिया। अनेक धर्मग्रन्थों में देवी सरस्वती को भगवान ब्रह्मा की अर्धांगिनी के रूप में वर्णित किया गया है।

देवी सरस्वती के पति होने के कारण भगवान ब्रह्मा को वागीश, अर्थात वाणी एवं ध्वनि के देवता के रूप में जाना जाता है।

सरस्वती स्वरूप वर्णन

देवी सरस्वती को अत्यन्त धवल वस्त्र धारण किये हुये सुन्दर, सुखद एवं शान्त स्वरूप में दर्शाया जाता है। अधिकांश प्रतिमाओं में देवी सरस्वती को वीणा वादन करते हुये प्रफुल्लित भावभँगिमा के साथ श्वेत कमल पुष्प पर विराजमान दर्शया जाता है। अधिकांश चित्रों में देवी सरस्वती के साथ हंस एवं मयूर भी होते हैं तथा कुछ चित्रों में वह हंस पर विराजमान रहती हैं।

देवी सरस्वती को चतुर्भुज रूप में वर्णित किया गया है। वह अपने दो हाथों में माला एवं पुस्तक धारण करती हैं तथा अन्य दो हाथों से वीणा वादन करती हैं।

देवी सरस्वती पूजन दिवस

सरस्वती वन्दना

सरस्वती या कुन्देदु, देवी सरस्वती को समर्पित सर्वाधिक लोकप्रिय स्तुति है तथा यह स्तुति प्रसिद्ध सरस्वती स्तोत्रम का भाग है। वसन्त पञ्चमी की सन्ध्या पर सरस्वती पूजा के समय इस स्तुति का गायन किया जाता है।

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥१॥

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥२॥

सरस्वती मन्त्र

सरस्वती स्वरूप एवं अवतार

सरस्वती मन्दिर

  • श्री शारदाम्बा मन्दिर, श्रृंगेरी, कर्णाटक
  • दक्षिण मूकाम्बिका मन्दिर, एर्णाकुलम, केरल
  • वर्दळ सरस्वती मन्दिर, मेदक, तेलंगाना
  • गणना सरस्वती मन्दिर, बासर, तेलंगाना
  • श्री सरस्वती क्षेत्रामु, अनन्तसागर, तेलंगाना
Kalash
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