Search
Mic
Android Play StoreIOS App Store
Ads Subscription Disabled
En
Setting
Clock
Ads Subscription DisabledRemove Ads
X

Goddess Yamuna | Mata Yamuna

DeepakDeepak

Goddess Yamuna

माँ यमुना

हिन्दु धर्म में यमुना नदी की देवी यमुना के रूप में पूजा-अर्चना की जाती है। यमराज की बहन होने के कारण यमुना का एक नाम यमी भी है। ऋग्वेद में प्राप्त वर्णन के अनुसार, आश्वद्वय यम तथा यमी का जन्म सूर्यदेव की पत्नी सरण्यु के गर्भ से हुआ था। यहाँ सूर्यदेव को विवस्वान् कहकर सम्बोधित किया गया है। कूर्मपुराण में भी देवी यमुना की कथा का वर्णन प्राप्त होता है। नदी के रूप में यमुना नदी का उद्गम स्थल यमुनोत्री है। यमुनोत्री उत्तरकाशी जिले में समुद्रतल से 3235 मी० की ऊँचाई पर अवस्थित है। यमुनोत्री धाम हिन्दुओं के लिये एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।

Goddess Yamuna
माँ यमुना

ब्रज क्षेत्र के निवासियों के लिये देवी यमुना अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। यमुना जी, भगवान श्री कृष्ण की अनेक बाल लीलाओं की साक्षी हैं। यमुना के पावन तट पर ही श्री कृष्ण ने चीरहरण और कालिया नाग मर्दन आदि लीलायें की हैं। मथुरा में यमुना के 24 घाट, देवी यमुना के विशेष महत्व को प्रदर्शित करते हैं। श्री राधा-कृष्ण के साथ ही देवी यमुना को भी ब्रजमण्डल में प्रमुखता से पूजा जाता है। यहाँ सायाह्नकाल में यमुना घाटों पर धूमधाम से श्री यमुना जी की आरती का आयोजन किया जाता है। देवी यमुना से सम्बन्धित विशेष अवसरों पर चुनरी मनोरथ का भी आयोजन किया जाता है, जिसके अन्तर्गत एक विशाल चुनरी नावों के द्वारा श्री यमुना जी को अर्पित की जाती है।

माँ यमुना उत्पत्ति

भगवान सूर्य की दो पत्नियाँ थीं, जिनका नाम सँज्ञा और छाया था। भगवान शनि, यमराज और यमुना जी की माता, देवी छाया को माना गया है, जो देवी सरण्यु अर्थात सँज्ञा देवी का ही छायारूप थीं। पौराणिक कथा के अनुसार, देवी यमुना की माँ सँज्ञा भगवान सूर्य के तेज को सहन नहीं कर पा रही थीं। अतः गर्भ धारण करने के पश्चात, सँज्ञा ने अपनी छाया को घर में छोड़ दिया तथा भगवान सूर्य के तेजस को सहन करने के उद्देश्य से तपस्या करने हेतु अपने माता-पिता के घर चली गयीं। उसी समयावधि में देवी छाया के गर्भ से भगवान शनि, यमराज एवं देवी यमुना का जन्म हुआ था।

माँ यमुना स्वरूप

माँ यमुना को श्याम वर्ण के रूप में चित्रित किया जाता है। कुछ चित्रों में उन्हे कछुये पर विराजमान दर्शाया जाता है। उनके एक हाथ में कमल के पुष्पों से निर्मित सुन्दर माला है तथा दूसरे हाथ में कमल पुष्प सुशोभित हैं। देवी यमुना से सम्बन्धित एक प्राचीन चित्र में उन्हें नदी के तट पर खड़ी एक रूपवान युवती के रूप में दर्शाया गया है। गुप्त काल से ही देवी यमुना का प्रतीकात्मक चित्रण देवालयों और उनकी चौखटों पर किया जाता रहा है। देवी यमुना के साथ ही देवी गङ्गा का चित्र भी मन्दिरों में किया जाता था। अग्नि पुराण में देवी यमुना को श्याम वर्ण, अर्थात काले रँग का वर्णित किया गया है, जहाँ वह एक कछुये पर खड़ी हैं, जो उनका वाहन है। देवी के हाथ में जल से युक्त कलशपात्र सुशोभित है।

माँ यमुना कुटुम्ब

देवी यमुना सूर्यदेव की पुत्री हैं। उनका जन्म देवी सरण्यु के गर्भ से हुआ था। यमराज, रेवन्त, श्राद्धदेव मनु एवं अश्विनी कुमार, यह सभी देवी यमुना के भ्राता हैं। विष्णुपुराण तथा मार्कण्डेय पुराण में यमुना एवं यमराज के भाई-बहन सम्बन्ध के विषय में विस्तृत कथा प्राप्त होती है। देवी यमुना का विवाह भगवान श्री कृष्ण से हुआ था। वह श्री कृष्ण की आठ प्रमुख पटरानियों में से एक हैं, जिन्हें सामूहिक रूप से अष्टभार्या के नाम से भी जाना जाता है। धर्म ग्रन्थों में क्रमशः रुक्मणि, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा एवं लक्ष्मणा को भगवान श्री कृष्ण की अष्ट पटरानियों के रूप में वर्णित किया गया है, जिनमें से कालिन्दी ही देवी यमुना हैं।

माँ यमुना मन्त्र

यमस्वसर्नमस्तेऽसु यमुने लोकपूजिते।
वरदा भव मे नित्यं सूर्यपुत्रि नमोऽस्तु ते॥

माँ यमुना से सम्बन्धित त्यौहार

माँ यमुना के प्रसिद्ध मन्दिर

  • यमुनोत्री धाम, उत्तराखण्ड
  • प्राचीन यमुना मन्दिर, केशिघाट मथुरा, उत्तर प्रदेश
Kalash
Copyright Notice
PanditJi Logo
All Images and data - Copyrights
Ⓒ www.drikpanchang.com
Privacy Policy
Drik Panchang and the Panditji Logo are registered trademarks of drikpanchang.com
Android Play StoreIOS App Store
Drikpanchang Donation