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श्री सूक्त साधना | श्री सूक्त यन्त्र पूजा विधि

DeepakDeepak

श्री सूक्त साधना

श्री सूक्त यन्त्रार्चन

श्री सूक्त धन एवं समृद्धि की देवी, अर्थात देवी लक्ष्मी की महिमा वर्णित करने वाला एक वैदिक स्तोत्र है। यह स्तोत्र इतना पवित्र एवं शक्तिशाली है कि, इसका उपयोग लक्ष्मी साधना के लिये किया जाता है। श्री सूक्त द्वारा देवी श्री लक्ष्मी की आराधना को श्री सूक्त साधना के रूप में जाना जाता है तथा इसे श्री सूक्त यन्त्र के माध्यम से किया जाता है।

Shri Yantra
सूक्त साधना हेतु श्री सूक्त यन्त्र

श्री सूक्त स्तोत्र सोलह श्लोकों से युक्त रचना है तथा श्री सूक्त आवरण पूजा के समय सभी सोलह श्लोकों का जाप किया जाता है। श्री सूक्त यन्त्र पूजा, नौ आवरण में विभाजित है। श्री सूक्त यन्त्र से सम्बन्धित कोई मन्त्र नहीं है, यद्यपि, श्री सूक्त के पूर्ण स्तोत्र को श्री सूक्त साधना के समय मन्त्र के रूप में प्रयोग किया जाता है।

श्री सूक्त यन्त्र तथा श्री यन्त्र एक समान नहीं हैं। वास्तविकता में, श्री सूक्त साधना श्री यन्त्र साधना से पूर्णतः भिन्न है। श्री सूक्त एवं श्री यन्त्र के मध्य एक महत्वपूर्ण अन्तर यह है कि, श्री सूक्त साधना देवी कमला को समर्पित है, जो दश महाविद्या में देवी लक्ष्मी का प्रतिनिधित्व करती हैं, जबकि श्री यन्त्र साधना देवी षोडशी को समर्पित है, जिन्हें त्रिपुरा सुन्दरी एवं ललिता के नाम से भी जाना जाता है तथा वे दश महाविद्या में से एक हैं। इसके अतिरिक्त, श्री सूक्त साधना, श्री सूक्त स्तोत्र पर आधारित है तथा श्री यन्त्र साधना, श्री बीज मन्त्र, अर्थात श्रीं पर आधारित है।

इस पृष्ठ पर हमने देवी लक्ष्मी की श्री सूक्त यन्त्र पूजा विधि वर्णित की है। श्री सूक्त यन्त्र को पूजा स्थल एवं घर में स्थापित किया जाता है। मन्यताओं के अनुसार, यन्त्र प्राण प्रतिष्ठा के समय यदि देवी लक्ष्मी का आह्वान पूर्ण वैदिक अनुष्ठानों के साथ किया जाये तो, वे स्वयं यन्त्र में निवास करती हैं। यन्त्र को पूर्ण वैदिक अनुष्ठानों द्वारा स्थापित करने के उपरान्त, प्रतिदिन साक्षात् देवी लक्ष्मी के रूप में ही यन्त्र की पूजा-अर्चना की जा सकती है।

मान्यताओं के अनुसार, श्री सूक्त स्तोत्र पर देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है तथा इसकी साधना से उपासक को दीर्घकाल तक धन एवं समृद्धि प्राप्त होती है।

1. यन्त्रोद्धार

यन्त्रोद्धार पूजा के लिये सही यन्त्र का उपयोग करना बहुत महत्वपूर्ण है। सही यन्त्र के अभाव में, यन्त्र पूजा का उद्देश्य पूर्ण नहीं होता है। यन्त्र पूजा के लिये मुहूर्त की आवश्यकता होती है तथा इसे शुभ दिन एवं शुभ मुहूर्त में किया जाना चाहिये। श्री सूक्त यन्त्र पूजा के लिये लक्ष्मी पूजा, धनतेरस तथा पुष्य नक्षत्र के दिन अत्यन्त शुभ माने जाते हैं।

भोजपत्र पर लाल चन्दन से यन्त्र निर्माण करना चाहिये। हालाँकि, अधिकांशतः स्वर्ण, रजत एवं ताम्र से निर्मित यन्त्र पूजन हेतु प्रयोग किये जाते हैं, क्योंकि उन्हें दैनिक पूजन के लिये पूजा कक्ष में स्थापित किया जा सकता है।

उचित रूप से निर्मित श्री सूक्त यन्त्र के में बिन्दु अर्थात मध्य में बिन्दु, षट्कोण अर्थात बिन्दु सहित संकेन्द्रित षट्कोणीय रचना, अष्टदल अर्थात आठ पत्तियों वाला कमल पुष्प, अष्टदल के बाह्य भाग में द्वादशदल अर्थात बारह पत्तियों वाला कमल पुष्प तथा अन्त में षोडशदल अर्थात द्वादशदल के बाह्य भाग में सोलह पत्तियों वाला कमल पुष्प होता है।

सभी 3 कमल पुष्प अर्थात अष्टदल, द्वादशदल तथा षोडशदल दो वीथिकाओं के अन्दर अवस्थित होने चाहिये। उपरोक्त वर्णित सम्पूर्ण आकृति की चारों दिशाओं में चार द्वारों की रचना करनी चाहिये। इन बाह्य द्वारों को यन्त्र का भूपूर द्वार कहा जाता है।

यन्त्र पूजन के समय आवरण पूजा सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है। आवरण पूजा के समय यन्त्र की पूजा 72 मन्त्रों द्वारा की जाती है। यह 72 की सँख्या यन्त्र पर निर्मित आकृतियों से सम्बन्धित है। प्रथम आवरण पूजा षट्कोण को समर्पित है जो 6 मन्त्रों द्वारा, द्वितीय आवरण पूजा अष्टदल को समर्पित है जो 8 मन्त्र, तृतीय आवरण पूजा द्वादशदल को समर्पित है जो 12 मन्त्र, चतुर्थ आवरण पूजा षोडशदल को समर्पित है जो 16 मन्त्र, पञ्चम आवरण पूजा प्रथम वीथिका को समर्पित है जो 1 मन्त्र, षष्ठम आवरण पूजा द्वितीय वीथिका को समर्पित है जो 1 मन्त्र, सप्तम आवरण पूजा षोडशदल तथा भूपूर के मध्य भाग को समर्पित है जो 8 मन्त्र, अष्टम आवरण पूजा 10 दिशाओं को समर्पित है, जो 10 मन्त्र तथा नवम आवरण पूजा 10 दिशाओं के रक्षक को समर्पित है जो 10 मन्त्रों द्वारा की जाती है।

अतः 6 + 8 + 12 + 16 + 1 + 1 + 8 + 10 + 10 का योग 72 होता है जो आवरण पूजा के समय जपे जाने वाले मन्त्रों की कुल सँख्या है। कदाचित् पूजा को सरल करने हेतु श्री सूक्त यन्त्र को 1 से 72 तक क्रमांकित किया जाता है। हालाँकि, ये सँख्यायें केवल शैक्षणिक उद्देश्य के लिये लिखी जाती हैं तथा यन्त्र पर इन्हें लिखना अनिवार्य नहीं है।

2. पीठ पूजा

यन्त्रोद्धार के पश्चात, निम्नलिखित मन्त्र द्वारा नौ पीठ शक्ति की पूजा आरम्भ करनी चाहिये - "ॐ मन्डूकादि परतत्वन्त पीठ देवताभ्यो नमः"।

Peetha Puja Mantra in Hindi

3. आवरण पूजा

पीठ पूजा के पश्चात, आवरण पूजा आरम्भ करनी चाहिये। आवरण पूजा, यन्त्र पूजा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाग है। श्री सूक्त यन्त्र के लिये नौ आवरण पूजा की जाती हैं।

प्रत्येक आवरण पूजा के समय, प्रत्येक मन्त्र का उच्चारण करते हुये यन्त्र की अक्षत, पुष्प, धूप, दीप तथा गन्ध से पूजा करनी चाहिये। प्रत्येक मन्त्र के साथ तर्पण भी करना चाहिये।

  • प्रथम आवरण

    प्रथम आवरण को षट्कोणे के नाम से जाना जाता है, क्योंकि यह षट्कोण के आन्तरिक भाग को समर्पित होता है।

    Pratham Avaranam Mantra in Hindi
  • प्रथम पुष्पाञ्जलि

    प्रत्येक अवतरण पूजा के पश्चात पुष्पाञ्जलि करनी चाहिये। पुष्पाञ्जलि मन्त्र के पश्चात "पूजिताः तर्पिताः सन्तु।" द्वारा तर्पण करना चाहिये।

    Pushpanjali Mantra in Hindi
  • द्वितीय आवरणम्

    द्वितीया आवरणम् को अष्टदले के नाम से जाना जाता है, क्योंकि यह अष्टदल के आन्तरिक भाग, अर्थात यन्त्र में आठ पत्तियों वाले कमल पुष्प की आकृति को समर्पित होता है।

    Dwitiya Avaranam Mantra in Hindi
  • द्वितीय पुष्पाञ्जलि

    द्वितीय आवरण पूजा के पश्चात भी पुष्पाञ्जलि अर्पित करनी चाहिये। पुष्पाञ्जलि मन्त्र के पश्चात "पूजिताः तर्पिताः सन्तु।" द्वारा तर्पण करना चाहिये।

    Pushpanjali Mantra in Hindi
  • तृतीय आवरणम्

    तृतीय आवरणम् को द्वादश दले के नाम से जाना जाता है, क्योंकि यह द्वादश दल के आन्तरिक भाग, अर्थात यन्त्र में 12 पत्तियों वाले कमल पुष्प की आकृति को समर्पित होता है।

    Tritiya Avaranam Mantra in Hindi
  • तृतीय पुष्पाञ्जलि

    तृतीय आवरण पूजा के पश्चात भी पुष्पाञ्जलि अर्पित करनी चाहिये। पुष्पाञ्जलि मन्त्र के पश्चात "पूजिताः तर्पिताः सन्तु।" द्वारा तर्पण करना चाहिये।

    Pushpanjali Mantra in Hindi
  • चतुर्थ आवरणम्

    चतुर्थ आवरण को षोडशदले के नाम से जाना जाता है, क्योंकि यह षोडशदल, अर्थात यन्त्र में 16 पत्तियों वाले कमल पुष्प के आन्तरिक भाग को समर्पित होता है।

    Chaturtha Avaranam Mantra in Hindi
  • चतुर्थ पुष्पाञ्जलि

    चतुर्थ आवरण पूजा के पश्चात भी पुष्पाञ्जलि अर्पित करनी चाहिये। पुष्पाञ्जलि मन्त्र के पश्चात "पूजिताः तर्पिताः सन्तु।" द्वारा तर्पण करना चाहिये।

    Pushpanjali Mantra in Hindi
  • पञ्चम आवरणम्

    पञ्चम आवरणम् षोडशदल की बाह्यी प्रथम वीथिका को समर्पित है।

    Pancham Avaranam Mantra in Hindi
  • पञ्चम पुष्पाञ्जलि

    पञ्चम आवरणम् पूजा के पश्चात भी पुष्पाञ्जलि अर्पित करनी चाहिये। पुष्पाञ्जलि मन्त्र के पश्चात "पूजिताः तर्पिताः सन्तु।" द्वारा तर्पण करना चाहिये।

    Pushpanjali Mantra in Hindi
  • षष्ठम आवरणम्

    षष्ठम आवरणम् षोडशदल की बाह्यी द्वितीय वीथिका को समर्पित है।

    Shashtham Avaranam Mantra in Hindi
  • षष्ठम पुष्पाञ्जलि

    षष्ठम आवरणम् पूजा के पश्चात भी पुष्पाञ्जलि भी करनी चाहिये। पुष्पाञ्जलि मन्त्र के पश्चात "पूजिताः तर्पिताः सन्तु।" द्वारा तर्पण करना चाहिये।

    Pushpanjali Mantra in Hindi
  • सप्तम आवरणम्

    सप्तम आवरणम् षोडशदल तथा भूपूर के मध्य भाग को समर्पित है।

    Saptam Avaranam Mantra in Hindi
  • सप्तम पुष्पाञ्जलि

    सप्तम आवरणम् पूजा के उपरान्त भी पुष्पाञ्जलि अर्पित करनी चाहिये। पुष्पाञ्जलि मन्त्र के पश्चात "पूजिताः तर्पिताः सन्तु।" द्वारा तर्पण करना चाहिये।

    Pushpanjali Mantra in Hindi
  • अष्टम आवरणम्

    अष्टम आवरण को भूपूर के नाम से जाना जाता है, क्योंकि यह यन्त्र की चारों ओर दसों दिशाओं को समर्पित होता है।

    Ashtam Avaranam Mantra in Hindi
  • अष्टम पुष्पाञ्जलि

    अष्टम आवरणम् पूजा के पश्चात भी पुष्पाञ्जलि अर्पित करनी चाहिये। पुष्पाञ्जलि मन्त्र के उपरान्त "पूजिताः तर्पिताः सन्तु।" द्वारा तर्पण करना चाहिये।

    Pushpanjali Mantra in Hindi
  • नवम आवरणम्

    नवम आवरणम्, जो अन्तिम आवरणम् है, सभी 10 दिशाओं के लोकपलों को समर्पित है।

    Navam Avaranam Mantra in Hindi
  • नवम पुष्पाञ्जलि

    नवम आवरणम् पूजा के पश्चात भी पुष्पाञ्जलि अर्पित करनी चाहिये। पुष्पाञ्जलि मन्त्र के उपरान्त "पूजिताः तर्पिताः सन्तु।" द्वारा तर्पण करना चाहिये।

    Pushpanjali Mantra in Hindi

    ॥इति श्री सूक्त यन्त्रार्चनम्॥

Kalash
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