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ऑनलाइन दैनिक पञ्चाङ्ग बारासात, पश्चिम बंगाल, भारत के लिये

DeepakDeepak

अक्टूबर 25, 2025

Tithi Icon
19, कार्तिक
शुक्ल पक्ष, चतुर्थी
2082 कालयुक्त, विक्रम सम्वत
बारासात, भारत
25
अक्टूबर 2025
शनिवार

सूर्योदय एवं चन्द्रोदय

पञ्चाङ्ग

तिथि
चतुर्थी - 03:48, अक्टूबर 26 तक
Shukla Chaturthi
अनुराधा - 07:51 तक
Anuradha
योग
सौभाग्य - 05:55 तक
करण
वणिज - 14:34 तक
विष्टि - 03:48, अक्टूबर 26 तक
वार
शनिवार
बव
पक्ष
शुक्ल पक्षShukla Paksha
 
 

चन्द्र मास, सम्वत एवं बृहस्पति संवत्सर

विक्रम सम्वत
2082 कालयुक्त
बृहस्पति संवत्सर
कालयुक्त - 15:07, अप्रैल 25, 2025 तक
शक सम्वत
1947 विश्वावसु
सिद्धार्थी
गुजराती सम्वत
2082 पिङ्गल
चन्द्रमास
कार्तिक - पूर्णिमान्त
प्रविष्टे/गते
9
कार्तिक - अमान्त

राशि तथा नक्षत्र

वृश्चिक
Vrishchika
नक्षत्र पद
अनुराधा - 07:51 तकFourth Nakshatra Pada
तुला
Tula
ज्येष्ठा - 14:36 तकFirst Nakshatra Pada
सूर्य नक्षत्र
स्वातीSwati
ज्येष्ठा - 21:20 तकSecond Nakshatra Pada
सूर्य नक्षत्र पद
स्वातीFirst Nakshatra Pada
ज्येष्ठा - 04:04, अक्टूबर 26 तकThird Nakshatra Pada
 
 
ज्येष्ठाFourth Nakshatra Pada

ऋतु तथा अयन

द्रिक ऋतु
हेमन्तHemant
दिनमान
11 घण्टे 25 मिनट्स 50 सेकण्ड्स
वैदिक ऋतु
शरदSharad
रात्रिमान
12 घण्टे 34 मिनट्स 39 सेकण्ड्स
द्रिक अयन
दक्षिणायण
मध्याह्न
11:20
वैदिक अयन
दक्षिणायण
 
 

शुभ समय

ब्रह्म मुहूर्त
03:57 से 04:47
प्रातः सन्ध्या
04:22 से 05:37
10:57 से 11:43
विजय मुहूर्त
13:14 से 14:00
गोधूलि मुहूर्त
17:03 से 17:28
सायाह्न सन्ध्या
17:03 से 18:18
अमृत काल
00:54, अक्टूबर 26 से 02:42, अक्टूबर 26
निशिता मुहूर्त
22:55 से 23:45
रवि योग
07:51 से 05:38, अक्टूबर 26
 
 

अशुभ समय

08:28 से 09:54Rahu Kalam
यमगण्ड
12:46 से 14:11
गुलिक काल
05:37 से 07:03
विडाल योग
05:37 से 07:51
14:08 से 15:56
दुर्मुहूर्त
05:37 से 06:23
गण्ड मूल
07:51 से 05:38, अक्टूबर 26
06:23 से 07:08
बाण
रोग - 14:55 से पूर्ण रात्रि तकBaana
भद्रा
14:34 से 03:48, अक्टूबर 26
 
 
विंछुड़ो
पूरे दिन

आनन्दादि एवं तमिल योग

आनन्दादि योग
अमृत - 07:51 तकAuspicious
तमिल योग
अमृत - 07:51 तक
मुसलInauspicious
मरण
जीवनम
अर्ध जीवन½
नेत्रम
नेत्रहीन𝟢

निवास और शूल

सूर्य - 07:51 तक
दिशा शूल
पूर्वEast
बुध
नक्षत्र शूल
पूर्व - 07:51 से पूर्ण रात्रि तकEast
पृथ्वी - 03:48, अक्टूबर 26 तक
Earth
चन्द्र वास
उत्तरNorth
आकाश
Heaven Cloud
राहु वास
पूर्वEast
स्वर्ग - 14:34 से 03:48, अक्टूबर 26 तक
Heaven Cloud
कुम्भ चक्र
पूर्व
Inauspicious
क्रीड़ा में - 03:48, अक्टूबर 26 तक
Shiva Linga
 
 
कैलाश पर
Shiva Linga
 
 

अन्य कैलेण्डर एवं युग

कलियुग
5126 वर्ष
लाहिरी अयनांश
24.224432Ayanamsha
कलि अहर्गण
1872508 दिन
राटा डाई
739549
जूलियन दिनाङ्क
अक्टूबर 12, 2025 सीई
जूलियन दिन
2460973.5 दिन
राष्ट्रीय नागरिक दिनाङ्क
कार्तिक 03, 1947 शकIndian Flag
संशोधित जूलियन दिन
60973 दिन
राष्ट्रीय निरयण दिनाङ्क
कार्तिक 10, 1947 शकIndian Flag
 
 

चन्द्रबलम & ताराबलम

निम्न राशि के लिए उत्तम चन्द्रबलम अगले दिन सूर्योदय तक
VrishabhaवृषभMithunaमिथुनKanyaकन्याVrishchikaवृश्चिकMakaraमकरKumbhaकुम्भ
*मेष राशि में जन्में लोगो के लिए अष्टम चन्द्र
*अश्विनी, भरणी, कृत्तिका के प्रथम पद में जन्में लोगो के लिए अष्टम चन्द्र
निम्न नक्षत्र के लिए उत्तम ताराबलम 07:51 तक
Ashwiniअश्विनीKrittikaकृत्तिकाMrigashiraमृगशिराPunarvasuपुनर्वसुAshleshaअश्लेशाMaghaमघाUttara Phalguniउत्तराफाल्गुनीChitraचित्राVishakhaविशाखाJyeshthaज्येष्ठाMulaमूलUttara Ashadhaउत्तराषाढाDhanishthaधनिष्ठाPurva Bhadrapadaपूर्व भाद्रपदRevatiरेवती
निम्न नक्षत्र के लिए उत्तम ताराबलम अगले दिन सूर्योदय तक
Ashwiniअश्विनीBharaniभरणीRohiniरोहिणीArdraआर्द्राPushyaपुष्यMaghaमघाPurva Phalguniपूर्वाफाल्गुनीHastaहस्तSwatiस्वातीAnuradhaअनुराधाMulaमूलPurva Ashadhaपूर्वाषाढाShravanaश्रवणShatabhishaशतभिषाUttara Bhadrapadaउत्तर भाद्रपद

पञ्चक रहित मुहूर्त एवं उदय-लग्न

आज के दिन के लिए पञ्चक रहित मुहूर्त
रोग पञ्चक - 05:37 से 07:21
शुभ मुहूर्त - 07:21 से 07:51
मृत्यु पञ्चक - 07:51 से 09:36
अग्नि पञ्चक - 09:36 से 11:42
शुभ मुहूर्त - 11:42 से 13:28
रज पञ्चक - 13:28 से 15:02
शुभ मुहूर्त - 15:02 से 16:33
शुभ मुहूर्त - 16:33 से 18:13
रज पञ्चक - 18:13 से 20:11
शुभ मुहूर्त - 20:11 से 22:25
चोर पञ्चक - 22:25 से 00:41, अक्टूबर 26
शुभ मुहूर्त - 00:41, अक्टूबर 26 से 02:52, अक्टूबर 26
रोग पञ्चक - 02:52, अक्टूबर 26 से 03:48, अक्टूबर 26
शुभ मुहूर्त - 03:48, अक्टूबर 26 से 05:02, अक्टूबर 26
मृत्यु पञ्चक - 05:02, अक्टूबर 26 से 05:38, अक्टूबर 26
आज के दिन के लिए उदय-लग्न मुहूर्त
Tula
तुला - 05:06 से 07:21
Vrishchika
वृश्चिक - 07:21 से 09:36
Dhanu
धनु - 09:36 से 11:42
Makara
मकर - 11:42 से 13:28
Kumbha
कुम्भ - 13:28 से 15:02
Meena
मीन - 15:02 से 16:33
Mesha
मेष - 16:33 से 18:13
Vrishabha
वृषभ - 18:13 से 20:11
Mithuna
मिथुन - 20:11 से 22:25
Karka
कर्क - 22:25 से 00:41, अक्टूबर 26
Simha
सिंह - 00:41, अक्टूबर 26 से 02:52, अक्टूबर 26
Kanya
कन्या - 02:52, अक्टूबर 26 से 05:02, अक्टूबर 26

दैनिक उपवास और त्यौहार

टिप्पणी: सभी समय २४-घण्टा प्रारूप में बारासात, भारत के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।

वैदिक ज्योतिष में पञ्चाङ्ग समय की भाँति होता है। आधुनिक युग में लोग समय देखने के लिये कैलेण्डर एवं घड़ी का उपयोग करते हैं, किन्तु हिन्दु धर्म के अनुयायी समय देखने हेतु पञ्चाङ्ग का उपयोग करते हैं। पञ्चाङ्ग से न केवल सूर्योदय, सूर्यास्त, चन्द्रोदय तथा चन्द्रास्त के विषय में ज्ञात होता है, अपितु इसमें दिन के सभी शुभ एवं अशुभ मुहूर्त भी वर्णित होते हैं।

अन्य शब्दों में कहें तो पञ्चाङ्ग एक वैदिक समय सूचक अर्थात् घड़ी है, जो केवल उस भौगोलिक स्थान के लिये मान्य होती है, जिसके लिये इसे बनाया जाता है। इसीलिये, विश्व के प्रत्येक नगर के लिये भिन्न-भिन्न पञ्चाङ्ग निर्मित किये जाते हैं।

तिथि, नक्षत्र, योग, करण तथा वार, यह पञ्चाङ्ग के पाँच मूलभूत तत्व होते हैं। पञ्चाङ्गकर्ताओं द्वारा इन पाँच अङ्गों तथा इनके अतिरिक्त लग्न, सूर्योदय, सूर्यास्त, चन्द्रोदय, दिवस तथा रात्रि की अवधि, चन्द्र एवं सूर्य की राशि स्थितियों आदि के संयोग से अनेक शुभ एवं अशुभ योगों का विश्लेषण किया जाता है।

पञ्चाङ्ग में कुछ ऐसे योगों को भी सम्मिलित किया गया है जिनका संयोग प्रतिदिन नहीं अपितु यदा-कदा होता है। द्रिक पञ्चाङ्ग के अन्तर्गत भद्रा, पंचक, गण्ड मूल, विंछुड़ो, द्विपुष्कर योग, त्रिपुष्कर योग, रवि पुष्य योग, गुरु पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, रवि योग, ज्वालामुखी योग, आडल योग तथा विडाल योग आदि योगों को भी सम्मिलित किया गया है। ये सभी दैनिक पञ्चाङ्ग के अत्यन्त महत्वपूर्ण शुभ एवं अशुभ योग हैं, जिनका संयोग किसी भी दिन यादृच्छिक रूप से निर्मित होता रहता है।

पञ्चाङ्ग एक वैदिक घड़ी के समान है जिसका अवलोकन मुहूर्त गणना हेतु पूरे दिन किया जा सकता है। निम्नोक्त महत्वपूर्ण क्रियाकलापों के लिये निरन्तर रूप से पञ्चाङ्ग की आवश्यकता होती है -

  1. ब्रह्म मुहूर्त - इस मुहूर्त में जागना एवं प्रथम पूजन करना महत्वपूर्ण होता है। सभी मनुष्यों को धार्मिक एवं शैक्षणिक गतिविधियाँ आरम्भ करने के लिये इस शुभ मुहूर्त में उठने का सुझाव दिया जाता है।
  2. प्रातः सन्ध्या - यह हिन्दु धर्म के अनुयायियों के लिये एक अति महत्वपूर्ण अनुष्ठान एवं दैनिक रूप से की जाने वाली तीन सन्ध्याओं में से एक है।
  3. मध्याह्न सन्ध्या - यह तीन दैनिक सन्ध्याओं में से एक है जो मध्याह्न काल में की जाती है। मध्याह्न सन्ध्या, अभिजित मुहूर्त के समय की जाती है, जो एक शुभ मुहूर्त है।
  4. सायाह्न सन्ध्या - यह हिन्दुओं के लिये एक आवश्यक अनुष्ठान है, जो दैनिक रूप से की जाने वाली तीन सन्ध्याओं में से एक है।
  5. राहु काल - यह एक अशुभ समयावधि है। राहु काल में किसी भी प्रकार का शुभ कार्य आरम्भ नहीं करना चाहिये। राहु काल भारत के दक्षिणी राज्यों में अधिक प्रचलित है।
  6. अभिजित मुहूर्त - यह दिन के मध्य में एक शुभ समयावधि है। यदि कोई शुभ मुहूर्त उपलब्ध नहीं है तो उस स्थिति में अभिजित मुहूर्त में सभी प्रकार के शुभ कार्य किये जा सकते हैं।
  7. विजय मुहूर्त - यह एक शुभ मुहूर्त है। विजय मुहूर्त यात्रा आरम्भ करने हेतु शुभ माना जाता है। इस मुहूर्त में यात्रा आरम्भ करने से यात्रा सफल होती है तथा यात्रा का उद्देश्य पूर्ण होता है।
  8. सङ्कल्प - यह पूजन अनुष्ठान का एक अभिन्न अङ्ग है। सङ्कल्प के द्वारा कालचक्र के एक निश्चित क्षण में पूर्ण इच्छाशक्ति द्वारा देश, काल, समय आदि के उच्चारण सहित अनुष्ठान सम्बन्धित प्रतिज्ञा को दृढ़ एवं पुष्ट किया जाता है। सङ्कल्प हेतु पञ्चाङ्ग के सभी पाँच तत्वों की आवश्यकता होती है। इन पाँच तत्वों के अतिरिक्त सङ्कल्प में राशिमण्डल के नव ग्रहों, मुख्यतः चन्द्र, सूर्य एवं बृहस्पति की स्थिति भी सम्मिलित होती है।
  9. सूर्योदय - सूर्य नमस्कार करने एवं उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पण करने हेतु सूर्योदय का उचित समय ज्ञात होना आवश्यक है। अतः पञ्चाङ्ग की आवश्यकता प्रतिदिन होती है, क्योंकि सूर्योदय का समय वर्ष पर्यन्त परिवर्तित होता रहता है।
  10. चन्द्रोदय - चन्द्र देव से सम्बन्धित भी अनेक अनुष्ठान होते हैं। संकष्टी चतुर्थी तथा कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर भी उदीयमान चन्द्र की पूजा-अर्चना की जाती है।

उपरोक्त उदाहरण विशाल सागर में एक तुच्छ जलबिन्दु के समान हैं। इसके अतिरिक्त भी हिन्दु धर्मावलम्बी अनेक प्रकार से पञ्चाङ्ग का उपयोग करते हैं। आगामी त्यौहार एवं व्रत के दिवस, विभिन्न महत्वपूर्ण शुभ एवं अशुभ योगों की गणना के लिये भी दैनिक पञ्चाङ्ग का उपयोग किया जाता है।

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