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ऑनलाइन दैनिक पञ्चाङ्ग लँकेस्टर, California, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिये

DeepakDeepak

अगस्त 20, 2025

Tithi Icon
13, भाद्रपद
कृष्ण पक्ष, त्रयोदशी
2082 कालयुक्त, विक्रम सम्वत
लँकेस्टर, संयुक्त राज्य अमेरिका
20
अगस्त 2025
बुधवार

सूर्योदय एवं चन्द्रोदय

06:17 ए एम
Sunrise
07:34 पी एम
Sunset
04:29 ए एम, अगस्त 21Moonrise
06:22 पी एमMoonset

पञ्चाङ्ग

तिथि
त्रयोदशी - 12:14 ए एम, अगस्त 21 तक
Krishna Trayodashi
पुनर्वसु - 11:57 ए एम तक
Punarvasu
योग
व्यतीपात - 03:44 ए एम, अगस्त 21 तक
करण
गर - 12:48 पी एम तक
वणिज - 12:14 ए एम, अगस्त 21 तक
वार
बुधवार
पक्ष
कृष्ण पक्षKrishna Paksha
 
 

चन्द्र मास, सम्वत एवं बृहस्पति संवत्सर

विक्रम सम्वत
2082 कालयुक्त
बृहस्पति संवत्सर
कालयुक्त - 02:37 ए एम, अप्रैल 25, 2025 तक
शक सम्वत
1947 विश्वावसु
सिद्धार्थी
गुजराती सम्वत
2081 नल
चन्द्रमास
भाद्रपद - पूर्णिमान्त
प्रविष्टे/गते
5
श्रावण - अमान्त

राशि तथा नक्षत्र

कर्क
Karka
नक्षत्र पद
पुनर्वसु - 11:57 ए एम तकFourth Nakshatra Pada
सिंह
Simha
पुष्य - 05:50 पी एम तकFirst Nakshatra Pada
सूर्य नक्षत्र
मघाMagha
पुष्य - 11:44 पी एम तकSecond Nakshatra Pada
सूर्य नक्षत्र पद
मघाSecond Nakshatra Pada
पुष्य - 05:40 ए एम, अगस्त 21 तकThird Nakshatra Pada
 
 
पुष्यFourth Nakshatra Pada

ऋतु तथा अयन

द्रिक ऋतु
वर्षाVarsha
दिनमान
13 घण्टे 16 मिनट्स 51 सेकण्ड्स
वैदिक ऋतु
वर्षाVarsha
रात्रिमान
10 घण्टे 43 मिनट्स 53 सेकण्ड्स
द्रिक अयन
दक्षिणायण
मध्याह्न
12:56 पी एम
वैदिक अयन
दक्षिणायण
 
 

शुभ समय

ब्रह्म मुहूर्त
04:52 ए एम से 05:34 ए एम
प्रातः सन्ध्या
05:13 ए एम से 06:17 ए एम
कोई नहीं
विजय मुहूर्त
03:08 पी एम से 04:02 पी एम
गोधूलि मुहूर्त
07:34 पी एम से 07:56 पी एम
सायाह्न सन्ध्या
07:34 पी एम से 08:38 पी एम
अमृत काल
09:37 ए एम से 11:10 ए एम
निशिता मुहूर्त
12:35 ए एम, अगस्त 21 से 01:17 ए एम, अगस्त 21
05:19 ए एम, अगस्त 21 से 06:54 ए एम, अगस्त 21
 
 

अशुभ समय

12:56 पी एम से 02:35 पी एमRahu Kalam
यमगण्ड
07:57 ए एम से 09:36 ए एम
गुलिक काल
11:16 ए एम से 12:56 पी एम
विडाल योग
11:57 ए एम से 06:18 ए एम, अगस्त 21
07:50 पी एम से 09:25 पी एम
दुर्मुहूर्त
12:29 पी एम से 01:22 पी एम
बाण
रज - 05:16 पी एम से पूर्ण रात्रि तकBaana
भद्रा
12:14 ए एम, अगस्त 21 से 06:18 ए एम, अगस्त 21

आनन्दादि एवं तमिल योग

आनन्दादि योग
गद - 11:57 ए एम तकInauspicious
तमिल योग
मरण - 11:57 ए एम तक
मातङ्गAuspicious
अमृत
जीवनम
अर्ध जीवन½
नेत्रम
नेत्रहीन𝟢

निवास और शूल

केतु
दिशा शूल
उत्तरNorth
आकाश - 12:14 ए एम, अगस्त 21 तक
Heaven Cloud
चन्द्र वास
उत्तरNorth
पाताल
राहु वास
दक्षिण-पश्चिमSouth-West
मृत्यु - 12:14 ए एम, अगस्त 21 से पूर्ण रात्रि तक
Earth
कुम्भ चक्र
कण्ठ
Auspicious
भोजन में - 12:14 ए एम, अगस्त 21 तक
Shiva Linga
 
 
श्मशान में
Shiva Linga
 
 

अन्य कैलेण्डर एवं युग

कलियुग
5126 वर्ष
लाहिरी अयनांश
24.221928Ayanamsha
कलि अहर्गण
1872442 दिन
राटा डाई
739483
जूलियन दिनाङ्क
अगस्त 7, 2025 सीई
जूलियन दिन
2460907.5 दिन
राष्ट्रीय नागरिक दिनाङ्क
श्रावण 29, 1947 शकIndian Flag
संशोधित जूलियन दिन
60907 दिन
राष्ट्रीय निरयण दिनाङ्क
भाद्रपद 05, 1947 शकIndian Flag
 
 

चन्द्रबलम & ताराबलम

निम्न राशि के लिए उत्तम चन्द्रबलम अगले दिन सूर्योदय तक
VrishabhaवृषभKarkaकर्कKanyaकन्याTulaतुलाMakaraमकरKumbhaकुम्भ
*धनु राशि में जन्में लोगो के लिए अष्टम चन्द्र
*मूल, पूर्वाषाढा, उत्तराषाढा के प्रथम पद में जन्में लोगो के लिए अष्टम चन्द्र
निम्न नक्षत्र के लिए उत्तम ताराबलम 11:57 ए एम तक
BharaniभरणीRohiniरोहिणीArdraआर्द्राPushyaपुष्यAshleshaअश्लेशाPurva Phalguniपूर्वाफाल्गुनीHastaहस्तSwatiस्वातीAnuradhaअनुराधाJyeshthaज्येष्ठाPurva Ashadhaपूर्वाषाढाShravanaश्रवणShatabhishaशतभिषाUttara Bhadrapadaउत्तर भाद्रपदRevatiरेवती
निम्न नक्षत्र के लिए उत्तम ताराबलम अगले दिन सूर्योदय तक
Ashwiniअश्विनीKrittikaकृत्तिकाMrigashiraमृगशिराPunarvasuपुनर्वसुAshleshaअश्लेशाMaghaमघाUttara Phalguniउत्तराफाल्गुनीChitraचित्राVishakhaविशाखाJyeshthaज्येष्ठाMulaमूलUttara Ashadhaउत्तराषाढाDhanishthaधनिष्ठाPurva Bhadrapadaपूर्व भाद्रपदRevatiरेवती

पञ्चक रहित मुहूर्त एवं उदय-लग्न

आज के दिन के लिए पञ्चक रहित मुहूर्त
रोग पञ्चक - 06:17 ए एम से 08:29 ए एम
शुभ मुहूर्त - 08:29 ए एम से 10:53 ए एम
मृत्यु पञ्चक - 10:53 ए एम से 11:57 ए एम
अग्नि पञ्चक - 11:57 ए एम से 01:18 पी एम
शुभ मुहूर्त - 01:18 पी एम से 03:40 पी एम
रज पञ्चक - 03:40 पी एम से 05:42 पी एम
शुभ मुहूर्त - 05:42 पी एम से 07:19 पी एम
चोर पञ्चक - 07:19 पी एम से 08:40 पी एम
शुभ मुहूर्त - 08:40 पी एम से 09:58 पी एम
शुभ मुहूर्त - 09:58 पी एम से 11:27 पी एम
चोर पञ्चक - 11:27 पी एम से 12:14 ए एम, अगस्त 21
शुभ मुहूर्त - 12:14 ए एम, अगस्त 21 से 01:20 ए एम, अगस्त 21
रोग पञ्चक - 01:20 ए एम, अगस्त 21 से 03:36 ए एम, अगस्त 21
शुभ मुहूर्त - 03:36 ए एम, अगस्त 21 से 06:01 ए एम, अगस्त 21
मृत्यु पञ्चक - 06:01 ए एम, अगस्त 21 से 06:18 ए एम, अगस्त 21
आज के दिन के लिए उदय-लग्न मुहूर्त
Simha
सिंह - 06:05 ए एम से 08:29 ए एम
Kanya
कन्या - 08:29 ए एम से 10:53 ए एम
Tula
तुला - 10:53 ए एम से 01:18 पी एम
Vrishchika
वृश्चिक - 01:18 पी एम से 03:40 पी एम
Dhanu
धनु - 03:40 पी एम से 05:42 पी एम
Makara
मकर - 05:42 पी एम से 07:19 पी एम
Kumbha
कुम्भ - 07:19 पी एम से 08:40 पी एम
Meena
मीन - 08:40 पी एम से 09:58 पी एम
Mesha
मेष - 09:58 पी एम से 11:27 पी एम
Vrishabha
वृषभ - 11:27 पी एम से 01:20 ए एम, अगस्त 21
Mithuna
मिथुन - 01:20 ए एम, अगस्त 21 से 03:36 ए एम, अगस्त 21
Karka
कर्क - 03:36 ए एम, अगस्त 21 से 06:01 ए एम, अगस्त 21

टिप्पणी: सभी समय १२-घण्टा प्रारूप में लँकेस्टर, संयुक्त राज्य अमेरिका के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।

वैदिक ज्योतिष में पञ्चाङ्ग समय की भाँति होता है। आधुनिक युग में लोग समय देखने के लिये कैलेण्डर एवं घड़ी का उपयोग करते हैं, किन्तु हिन्दु धर्म के अनुयायी समय देखने हेतु पञ्चाङ्ग का उपयोग करते हैं। पञ्चाङ्ग से न केवल सूर्योदय, सूर्यास्त, चन्द्रोदय तथा चन्द्रास्त के विषय में ज्ञात होता है, अपितु इसमें दिन के सभी शुभ एवं अशुभ मुहूर्त भी वर्णित होते हैं।

अन्य शब्दों में कहें तो पञ्चाङ्ग एक वैदिक समय सूचक अर्थात् घड़ी है, जो केवल उस भौगोलिक स्थान के लिये मान्य होती है, जिसके लिये इसे बनाया जाता है। इसीलिये, विश्व के प्रत्येक नगर के लिये भिन्न-भिन्न पञ्चाङ्ग निर्मित किये जाते हैं।

तिथि, नक्षत्र, योग, करण तथा वार, यह पञ्चाङ्ग के पाँच मूलभूत तत्व होते हैं। पञ्चाङ्गकर्ताओं द्वारा इन पाँच अङ्गों तथा इनके अतिरिक्त लग्न, सूर्योदय, सूर्यास्त, चन्द्रोदय, दिवस तथा रात्रि की अवधि, चन्द्र एवं सूर्य की राशि स्थितियों आदि के संयोग से अनेक शुभ एवं अशुभ योगों का विश्लेषण किया जाता है।

पञ्चाङ्ग में कुछ ऐसे योगों को भी सम्मिलित किया गया है जिनका संयोग प्रतिदिन नहीं अपितु यदा-कदा होता है। द्रिक पञ्चाङ्ग के अन्तर्गत भद्रा, पंचक, गण्ड मूल, विंछुड़ो, द्विपुष्कर योग, त्रिपुष्कर योग, रवि पुष्य योग, गुरु पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, रवि योग, ज्वालामुखी योग, आडल योग तथा विडाल योग आदि योगों को भी सम्मिलित किया गया है। ये सभी दैनिक पञ्चाङ्ग के अत्यन्त महत्वपूर्ण शुभ एवं अशुभ योग हैं, जिनका संयोग किसी भी दिन यादृच्छिक रूप से निर्मित होता रहता है।

पञ्चाङ्ग एक वैदिक घड़ी के समान है जिसका अवलोकन मुहूर्त गणना हेतु पूरे दिन किया जा सकता है। निम्नोक्त महत्वपूर्ण क्रियाकलापों के लिये निरन्तर रूप से पञ्चाङ्ग की आवश्यकता होती है -

  1. ब्रह्म मुहूर्त - इस मुहूर्त में जागना एवं प्रथम पूजन करना महत्वपूर्ण होता है। सभी मनुष्यों को धार्मिक एवं शैक्षणिक गतिविधियाँ आरम्भ करने के लिये इस शुभ मुहूर्त में उठने का सुझाव दिया जाता है।
  2. प्रातः सन्ध्या - यह हिन्दु धर्म के अनुयायियों के लिये एक अति महत्वपूर्ण अनुष्ठान एवं दैनिक रूप से की जाने वाली तीन सन्ध्याओं में से एक है।
  3. मध्याह्न सन्ध्या - यह तीन दैनिक सन्ध्याओं में से एक है जो मध्याह्न काल में की जाती है। मध्याह्न सन्ध्या, अभिजित मुहूर्त के समय की जाती है, जो एक शुभ मुहूर्त है।
  4. सायाह्न सन्ध्या - यह हिन्दुओं के लिये एक आवश्यक अनुष्ठान है, जो दैनिक रूप से की जाने वाली तीन सन्ध्याओं में से एक है।
  5. राहु काल - यह एक अशुभ समयावधि है। राहु काल में किसी भी प्रकार का शुभ कार्य आरम्भ नहीं करना चाहिये। राहु काल भारत के दक्षिणी राज्यों में अधिक प्रचलित है।
  6. अभिजित मुहूर्त - यह दिन के मध्य में एक शुभ समयावधि है। यदि कोई शुभ मुहूर्त उपलब्ध नहीं है तो उस स्थिति में अभिजित मुहूर्त में सभी प्रकार के शुभ कार्य किये जा सकते हैं।
  7. विजय मुहूर्त - यह एक शुभ मुहूर्त है। विजय मुहूर्त यात्रा आरम्भ करने हेतु शुभ माना जाता है। इस मुहूर्त में यात्रा आरम्भ करने से यात्रा सफल होती है तथा यात्रा का उद्देश्य पूर्ण होता है।
  8. सङ्कल्प - यह पूजन अनुष्ठान का एक अभिन्न अङ्ग है। सङ्कल्प के द्वारा कालचक्र के एक निश्चित क्षण में पूर्ण इच्छाशक्ति द्वारा देश, काल, समय आदि के उच्चारण सहित अनुष्ठान सम्बन्धित प्रतिज्ञा को दृढ़ एवं पुष्ट किया जाता है। सङ्कल्प हेतु पञ्चाङ्ग के सभी पाँच तत्वों की आवश्यकता होती है। इन पाँच तत्वों के अतिरिक्त सङ्कल्प में राशिमण्डल के नव ग्रहों, मुख्यतः चन्द्र, सूर्य एवं बृहस्पति की स्थिति भी सम्मिलित होती है।
  9. सूर्योदय - सूर्य नमस्कार करने एवं उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पण करने हेतु सूर्योदय का उचित समय ज्ञात होना आवश्यक है। अतः पञ्चाङ्ग की आवश्यकता प्रतिदिन होती है, क्योंकि सूर्योदय का समय वर्ष पर्यन्त परिवर्तित होता रहता है।
  10. चन्द्रोदय - चन्द्र देव से सम्बन्धित भी अनेक अनुष्ठान होते हैं। संकष्टी चतुर्थी तथा कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर भी उदीयमान चन्द्र की पूजा-अर्चना की जाती है।

उपरोक्त उदाहरण विशाल सागर में एक तुच्छ जलबिन्दु के समान हैं। इसके अतिरिक्त भी हिन्दु धर्मावलम्बी अनेक प्रकार से पञ्चाङ्ग का उपयोग करते हैं। आगामी त्यौहार एवं व्रत के दिवस, विभिन्न महत्वपूर्ण शुभ एवं अशुभ योगों की गणना के लिये भी दैनिक पञ्चाङ्ग का उपयोग किया जाता है।

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