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2025 दीवाली के दौरान सोना खरीदने का शुभ समय - धनतेरस और पुष्य नक्षत्र के दिन

DeepakDeepak

2025 सोना खरीदने के लिये मुहूर्त

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सोना खरीदने के लिए पुष्य नक्षत्र

पुष्य नक्षत्र में सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त मंगलवार, अक्टूबर 14, 2025 को
पुष्य योग में सोना खरीदने का मुहूर्त - 11:54 से 30:22+
अवधि - 18 घण्टे 28 मिनट्स
पुष्य नक्षत्र के साथ व्याप्त शुभ चौघड़िया मुहूर्त
प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) - 11:54 से 13:33
अपराह्न मुहूर्त (शुभ) - 15:00 से 16:26
सायाह्न मुहूर्त (लाभ) - 19:26 से 21:00
रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) - 22:33 से 27:14+

सोना खरीदने के लिए पुष्य नक्षत्र

पुष्य नक्षत्र में सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त बुधवार, अक्टूबर 15, 2025 को
पुष्य योग में सोना खरीदने का मुहूर्त - 06:22 से 12:00
अवधि - 05 घण्टे 38 मिनट्स
पुष्य नक्षत्र के साथ व्याप्त शुभ चौघड़िया मुहूर्त
प्रातः मुहूर्त (शुभ) - 10:40 से 12:00
प्रातः मुहूर्त (लाभ, अमृत) - 06:22 से 09:14

सोना खरीदने के लिए धनतेरस मुहूर्त

सोना खरीदने के लिए धनतेरस मुहूर्त शनिवार, अक्टूबर 18, 2025 को
धनत्रयोदशी के दिन सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त - 12:18 से 30:24+
अवधि - 18 घण्टे 06 मिनट्स
धनत्रयोदशी में व्याप्त शुभ चौघड़िया मुहूर्त
अपराह्न मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) - 12:18 से 16:23
सायाह्न मुहूर्त (लाभ) - 17:48 से 19:23
रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) - 20:57 से 25:41+
उषाकाल मुहूर्त (लाभ) - 28:50+ से 30:24+

सोना खरीदने के लिए धनतेरस मुहूर्त

सोना खरीदने के लिए धनतेरस मुहूर्त रविवार, अक्टूबर 19, 2025 को
धनत्रयोदशी के दिन सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त - 06:24 से 13:51
अवधि - 07 घण्टे 27 मिनट्स
धनत्रयोदशी में व्याप्त शुभ चौघड़िया मुहूर्त
प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) - 07:50 से 12:06
अपराह्न मुहूर्त (शुभ) - 13:31 से 13:51

टिप्पणी: सभी समय २४:००+ प्रारूप में नई दिल्ली, भारत के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय २४:०० से अधिक हैं और आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।

2025 दीवाली पर सोना खरीदने का शुभ समय

अधिकांश हिन्दु परिवारों में दीवाली के समय स्वर्ण क्रय करना शुभ एवं महत्वपूर्ण माना जाता है। दीवाली के समय स्वर्ण क्रय करना धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण एवं शुभ माना जाता है। दीवाली पर स्वर्ण क्रय करना, घर में देवी लक्ष्मी को आमन्त्रित करने के समान माना जाता है। देवी लक्ष्मी धन एवं समृद्धि प्रदान करने वाली देवी हैं।

दीवाली के समय आभूषणों के अतिरिक्त, सिक्के क्रय करने की परम्परा का भी प्रचलन है। भारत में, दीवाली के लिये विशेष रूप से सोने के सिक्के निर्मित किये जाते हैं, जिन सिक्कों की एक ओर देवी लक्ष्मी एवं दूसरी ओर उनका प्रतीक श्री अङ्कित होता है। अन्य सिक्कों में, देवी लक्ष्मी एवं भगवान गणेश दोनों को, तथा वैकल्पिक रूप से देवी सरस्वती को, सोने के सिक्कों पर उकेरा जाता है।

क्रय किये गये नवीन स्वर्ण का उपयोग लक्ष्मी पूजा के समय किया जाता है तथा इसे हटरी नामक एक कृत्रिम एवं प्रतीकात्मक घर के अन्दर रखा जाता है, जो मिट्टी अथवा चाँदी से निर्मित होता है। लक्ष्मी पूजा के समय, नवीन क्रय किये गये स्वर्ण के सिक्के को सिन्दूर एवं शुद्ध घी से निर्मित गोंद द्वारा देवी लक्ष्मी की नाभि पर चिपकाया जाता है।

अन्य महत्वपूर्ण गतिविधियों के समान ही, अधिकांश हिन्दु, दीवाली के समय स्वर्ण खरीदने के लिये मुहूर्त, अर्थात शुभ समय को प्राथमिकता देते हैं। पुष्य नक्षत्र एवं धनतेरस, ये दो सर्वाधिक शुभ दिन हैं, जिनके अवसर पर दीवाली उत्सव के समय स्वर्ण की सर्वाधिक खरीदारी होती है। पुष्य नक्षत्र देवी लक्ष्मी का जन्म नक्षत्र है, इसीलिये पुष्य नक्षत्र को देवी लक्ष्मी को घर लाने के लिये सर्वाधिक शुभ नक्षत्र माना जाता है।

देवी लक्ष्मी से सम्बन्धित होने के कारण पुष्य नक्षत्र को दीवाली पर स्वर्ण एवं स्वर्णाभूषण क्रय करने हेतु उत्तम माना जाता है। यदि पुष्य नक्षत्र गुरुवार को होता है, तो यह संयोग गुरु पुष्य योग अथवा गुरुपुष्यामृत योग कहलाता है तथा जब पुष्य नक्षत्र रविवार को होता है, तो यह रवि पुष्य योग का निर्माण करता है। वैदिक ज्योतिष में, गुरु पुष्य एवं रवि पुष्य दोनों योगों को सभी प्रकार की क्रय सम्बन्धी गतिविधियों के लिये अत्यन्त महत्वपूर्ण माना जाता है।

अधिकांश वर्षों में, पुष्य नक्षत्र धनतेरस से कुछ दिन पूर्व होता है तथा इस दिन को दीवाली की खरीदारी के लिये प्रातमिकता दी जाती है। दीवाली की खरीदारी में स्वर्ण, नवीन वस्त्र तथा आभूषण आदि सम्मिलित हैं। अधिकांश आभूषण की दुकानों पर धनतेरस से पूर्व पुष्य नक्षत्र के दिन अतिरिक्त भीड़ को सम्भालने के लिये विशेष व्यवस्था की जाती है। यह उल्लेखनीय है कि, धनतेरस के दिन की तुलना में पुष्य नक्षत्र के दिन सोने के सिक्कों का अधिक विपणन होता है। हालाँकि, धनतेरस पर कलश, कटोरी, चम्मच, गिलास तथा चाँदी से निर्मित लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों सहित चाँदी के सिक्कों की भी अधिक माँग रहती है।

पुष्य नक्षत्र के अतिरिक्त, धनतेरस का दिन भी स्वर्ण क्रय करने हेतु महत्वपूर्ण दिन होता है तथा इस दिन को स्वर एवं स्वर्णाभूषण क्रय करने हेतु अक्षय तृतीया के समान ही शुभ माना जाता है।

Kalash
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द्रिक पञ्चाङ्ग और पण्डितजी लोगो drikpanchang.com के पञ्जीकृत ट्रेडमार्क हैं।
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