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आश्विन माह त्यौहार हिन्दु कैलेण्डर के लिए

DeepakDeepak

आश्विन त्यौहार


आश्विन त्यौहार

आश्विन माह हिन्दु कैलेण्डर में सातवाँ चन्द्र महीना है।

हिन्दु कैलेण्डर में, चन्द्र मास के प्रारम्भ को चिह्नित करने के दो नियम अमान्त एवं पूर्णिमान्त हैं। पूर्णिमान्त में, मास का प्रारम्भ पूर्णिमा के अगले दिन से होता है, पूर्णिमान्त पर आधारित पञ्चांग को पूर्णिमान्त कैलेंडर या पूर्णिमान्त पञ्चांग के रूप में जाना जाता है। अमान्त में, मास का प्रारम्भ अमावस्या के अगले दिन से होता है, अमान्त पर आधारित पञ्चांग को अमान्त कैलेंडर या अमान्त पञ्चांग के रूप में जाना जाता है।

आश्विन त्यौहारों की सूची

आश्विन त्यौहारों की सूची

  1. पितृपक्ष प्रारम्भ - इस दिन से पितृ पक्ष का आरम्भ होता है। पितृ पक्ष की अवधि में हिन्दु अपने पूर्वजों को भोजन आदि के माध्यम से श्रद्धाञ्जलि अर्पित करते हैं। पितृ पक्ष के दौरान विधि पूर्वक श्राद्ध, तर्पण आदि कर्म करने से पूर्वज सन्तुष्ट होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
  2. इन्दिरा एकादशी - पूर्णिमान्त कैलेण्डर के अनुसार आश्विन कृष्ण पक्ष एकादशी तथा अमान्त हिन्दु कैलेण्डर के अनुसार भाद्रपद कृष्ण पक्ष एकादशी को इन्दिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह व्रत करने से पूर्वजों को यमलोक के त्रास से मुक्ति एवं सद्गति प्राप्त होती है।
  3. सर्वपितृ अमावस्या - यह पितृ पक्ष का सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं अन्तिम दिवस है। इस दिन को सर्वपितृ अमावस्या या महालय अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। यदि कोई सम्पूर्ण पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध करने में असमर्थ है तो मात्र अमावस्या तिथि पर श्राद्ध कर सकता है।
  4. जीवित्पुत्रिका व्रत - पूर्णिमान्त हिन्दु चन्द्र कैलेण्डर के अनुसार आश्विन माह की कृष्ण पक्ष अष्टमी पर जीवित्पुत्रिका व्रत किया जाता है। यह एक अत्यन्त महत्वपूर्ण व्रत है। इस दिन मातायें अपनी सन्तानों की सुरक्षा एवं स्वास्थ्य हेतु पूर्ण दिवस व रात्रि पर्यन्त निर्जला उपवास करती हैं।
  5. शारदीय नवरात्रि - शरद ऋतु से सम्बन्धित होने के कारण आश्विन माह की नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि भी कहते हैं। विश्व भर के देवी उपासक इस पर्व की प्रतीक्षा करते हैं, जिसके कारण यह नवरात्रि बेहद लोकप्रिय है इसीलिये इसे 'महानवरात्रि' भी कहते हैं। इस पृष्ठ पर आपको शारदीय नवरात्रि पर्व के दिन और अन्य बहुत सी महत्वपूर्ण जानकारियों के पृष्ठ मिल जायेंगे।
  6. सरस्वती आवाहन - नवरात्रि पूजन के समय की जाने वाली चार दिवसीय सरस्वती पूजा के प्रथम दिवस को सरस्वती आवाहन कहा जाता है। आवाहन का अर्थ है, देवी सरस्वती को आमन्त्रित करना। हिन्दु धर्मग्रन्थों में प्राप्त वर्णन के अनुसार देवी सरस्वती का आवाहन मूल नक्षत्र में करना चाहिये।
  7. सरस्वती पूजा - नवरात्रि सरस्वती पूजा मुहूर्त दिया गया है। नवरात्रि पूजा के समय सरस्वती पूजा के द्वितीय दिवस को सरस्वती प्रधान पूजा दिवस के रूप में जाना जाता है। व्रतराज एवं रुद्रयामल आदि विभिन्न धर्मग्रन्थों में सरस्वती पूजा के महत्व एवं विधान का वर्णन प्राप्त होता है।
  8. दुर्गा अष्टमी - हिन्दु कैलेण्डर के अनुसार आश्विन माह की शुक्ल पक्ष अष्टमी को दुर्गा अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। दुर्गा अष्टमी, दुर्गा पूजा का द्वितीय दिवस है, जिसे महाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। देवी दुर्गा के भक्तों के लिये यह दिन अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
  9. महा नवमी - महा नवमी, नौ दिनों के दुर्गा पूजा उत्सव का समापन दिवस है। सन्धि पूजा के समापन के उपरान्त मुख्य नवमी पूजा प्रारम्भ होती है। महा नवमी के पावन अवसर पर नवमी हवन किया जाता है, जो कि दुर्गा पूजा का एक अत्यन्त महत्वपूर्ण अनुष्ठान है।
  10. दशहरा - विजयादशमी के दिन भगवान श्री राम ने रावण तथा देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक दैत्य का वध किया था। अतः इस दिन को अधर्म पर धर्म की विजय के रूप में मनाया जाता है। विजयदशमी के अवसर पर शमी पूजा, अपराजिता पूजा तथा सीमोल्लंघन आदि अनुष्ठान किये जाते हैं।
  11. पापांकुशा एकादशी - हिन्दु पञ्चाङ्ग के अनुसार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी के नाम से जाना जाता है। हिन्दु धर्मग्रन्थों के अनुसार सहस्र अश्वमेध तथा सौ राजसूय यज्ञ का फल इस एकादशी के फल के सोलहवें भाग के समान भी नहीं है।
  12. शरद पूर्णिमा - मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा वर्ष का एकमात्र दिन है जब चन्द्रमा अपनी सम्पूर्ण सोलह कलाओं सहित उदित होता है। हिन्दु चन्द्र कैलेण्डर के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। शरद ऋतु में आने के कारण इसे शरद पूर्णिमा कहा जाता है।
  13. उपांग ललिता व्रत - शरद नवरात्रि के पाँचवें दिन ललिता पञ्चमी के दिन देवी ललिता के निमित्त व्रत का पालन किया जाता है। ललिता पञ्चमी का व्रत गुजरात एवं महाराष्ट्र के कुछ भागों में अधिक लोकप्रिय है। इस व्रत को उपांग ललिता व्रत के नाम से जाना जाता है।
  14. कोजागर पूजा - कोजागर लक्ष्मी पूजा का पर्व मुख्यतः पश्चिम बंगाल, ओडिशा तथा असम में मनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, कोजागर पूजा की रात्रि में देवी लक्ष्मी सम्पूर्ण सृष्टि में भ्रमण हेतु निकलती हैं तथा जो भी भक्त उन्हें जागरण करता हुआ मिलता है, देवी माँ उसको सुख-समृद्धि से सम्पन्न कर देती हैं।

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