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2025 मासिक शिवरात्रि व्रत के दिन कोलंबस, Ohio, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिये

DeepakDeepak

2025 शिवरात्रि के दिन

चतुर्दशी
25 दिन शेष
मासिक शिवरात्रि
ज्येष्ठ, कृष्ण चतुर्दशी
कोलंबस, संयुक्त राज्य अमेरिका
25
मई 2025
रविवार
2025 मासिक शिवरात्रि व्रत के दिन
[2081 - 2082] विक्रम सम्वत
मासिक शिवरात्रि
जनवरी 27, 2025, सोमवार
चतुर्दशी
00 घण्टे 56 मिनट्स
माघ, कृष्ण चतुर्दशी
प्रारम्भ - 10:04, जनवरी 27
समाप्त - 09:05, जनवरी 28
महा शिवरात्रि
फरवरी 25, 2025, मंगलवार
चतुर्दशी
00 घण्टे 32 मिनट्स
फाल्गुन, कृष्ण चतुर्दशी
प्रारम्भ - 00:38, फरवरी 26
समाप्त - 22:24, फरवरी 26
मासिक शिवरात्रि
मार्च 27, 2025, बृहस्पतिवार
चतुर्दशी
00 घण्टे 46 मिनट्स
चैत्र, कृष्ण चतुर्दशी
प्रारम्भ - 13:33, मार्च 27
समाप्त - 10:25, मार्च 28
मासिक शिवरात्रि
अप्रैल 25, 2025, शुक्रवार
चतुर्दशी
00 घण्टे 41 मिनट्स
वैशाख, कृष्ण चतुर्दशी
प्रारम्भ - 22:57, अप्रैल 25
समाप्त - 19:19, अप्रैल 26
मासिक शिवरात्रि
मई 25, 2025, रविवार
चतुर्दशी
00 घण्टे 37 मिनट्स
ज्येष्ठ, कृष्ण चतुर्दशी
प्रारम्भ - 06:21, मई 25
समाप्त - 02:41, मई 26
मासिक शिवरात्रि
जून 23, 2025, सोमवार
चतुर्दशी
00 घण्टे 36 मिनट्स
आषाढ़, कृष्ण चतुर्दशी
प्रारम्भ - 12:39, जून 23
समाप्त - 09:29, जून 24
श्रावण शिवरात्रि
जुलाई 22, 2025, मंगलवार
चतुर्दशी
00 घण्टे 38 मिनट्स
श्रावण, कृष्ण चतुर्दशी
प्रारम्भ - 19:09, जुलाई 22
समाप्त - 16:58, जुलाई 23
मासिक शिवरात्रि
अगस्त 21, 2025, बृहस्पतिवार
चतुर्दशी
00 घण्टे 42 मिनट्स
भाद्रपद, कृष्ण चतुर्दशी
प्रारम्भ - 03:14, अगस्त 21
समाप्त - 02:25, अगस्त 22
मासिक शिवरात्रि
सितम्बर 19, 2025, शुक्रवार
चतुर्दशी
00 घण्टे 47 मिनट्स
आश्विन, कृष्ण चतुर्दशी
प्रारम्भ - 14:06, सितम्बर 19
समाप्त - 14:46, सितम्बर 20
मासिक शिवरात्रि
अक्टूबर 19, 2025, रविवार
चतुर्दशी
00 घण्टे 52 मिनट्स
कार्तिक, कृष्ण चतुर्दशी
प्रारम्भ - 04:21, अक्टूबर 19
समाप्त - 06:14, अक्टूबर 20
मासिक शिवरात्रि
नवम्बर 17, 2025, सोमवार
चतुर्दशी
00 घण्टे 56 मिनट्स
मार्गशीर्ष, कृष्ण चतुर्दशी
प्रारम्भ - 20:42, नवम्बर 17
समाप्त - 23:13, नवम्बर 18
मासिक शिवरात्रि
दिसम्बर 17, 2025, बुधवार
चतुर्दशी
00 घण्टे 59 मिनट्स
पौष, कृष्ण चतुर्दशी
प्रारम्भ - 16:02, दिसम्बर 17
समाप्त - 18:29, दिसम्बर 18

टिप्पणी: सभी समय २४-घण्टा प्रारूप में कोलंबस, संयुक्त राज्य अमेरिका के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।

2025 मासिक शिवरात्रि

Masik Shivaratri Dates

शिवरात्रि शिव और शक्ति के अभिसरण का विशेष पर्व है। प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है।

अमान्त पञ्चाङ्ग के अनुसार माघ माह की मासिक शिवरात्रि को महा शिवरात्रि कहते हैं। परन्तु पूर्णिमान्त पञ्चाङ्ग के अनुसार फाल्गुन माह की मासिक शिवरात्रि को महा शिवरात्रि कहते हैं। दोनों पञ्चाङ्गों में यह चन्द्र मास की नामाकरण प्रथा है जो इसे भिन्न-भिन्न करती है। हालाँकि दोनों, पूर्णिमान्त एवं अमान्त पञ्चाङ्ग एक ही दिन महा शिवरात्रि सहित सभी शिवरात्रियों को मानते हैं।

भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार महा शिवरात्रि के दिन मध्य रात्रि में भगवान शिव लिङ्ग के रूप में प्रकट हुये थे। सर्वप्रथम शिव लिङ्ग की पूजा भगवान विष्णु एवं ब्रह्माजी द्वारा की गयी थी। इसीलिये महा शिवरात्रि को भगवान शिव के जन्मदिवस के रूप में जाना जाता है तथा श्रद्धालुगण शिवरात्रि के दिन शिव लिङ्ग की पूजा-अर्चना करते हैं। शिवरात्रि व्रत प्राचीन काल से ही अत्यन्त प्रचलित है। हिन्दु पुराणों में हमें शिवरात्रि व्रत का उल्लेख मिलता हैं। शास्त्रों के अनुसार देवी लक्ष्मी, इन्द्राणी, सरस्वती, गायत्री, सावित्री, सीता, पार्वती तथा रति ने भी शिवरात्रि का व्रत किया था।

जो श्रद्धालु मासिक शिवरात्रि का व्रत करना चाहते है, वह इसे महा शिवरात्रि से आरम्भ करके एक वर्ष तक निरन्तर कर सकते हैं। मान्यताओं के अनुसार मासिक शिवरात्रि के व्रत को करने से भगवान शिव की कृपा द्वारा किसी भी प्रकार के कठिन एवं असम्भव कार्य पूर्ण किये जा सकते हैं। श्रद्धालुओं को शिवरात्रि के समय जागरण करना चाहिये तथा रात्रि में भगवान शिव की पूजा करनी चाहिये। अविवाहित स्त्रियाँ इस व्रत को विवाह की कामना से एवं विवाहित स्त्रियाँ अपने विवाहित जीवन में सुख एवं शान्ति हेतु इस व्रत का पालन करती हैं।

मासिक शिवरात्रि यदि मंगलवार के दिन पड़ती है तो वह अत्यधिक शुभ होती है। शिवरात्रि पूजन मध्य रात्रि के समय किया जाता है। मध्य रात्रि को निशिता काल के नाम से जाना जाता है तथा यह दो घटी के लिये प्रबल होती है। द्रिक पञ्चाङ्ग सभी शिवरात्रि के व्रत के लिये शिव पूजन करने हेतु निशिता काल मुहूर्त को सूचिबद्ध करता है।

भगवान शिव को उनके भोला-भाले स्वभाव के कारण भोलेनाथ के नाम से भी जाना जाता है।

Kalash
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